कोलकाता । कलकत्ता हाई कोर्ट ने पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डब्ल्यूबीसीपीसीआर) की ओर से दायर एक याचिका पर केंद्रीय चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। याचिका में कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों के लिए मुआवजे की मांग की गई है। जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस सौमेन सेन की पीठ ने डब्ल्यूबीसीपीसीआर की याचिका पर जवाब मांगा है। इस याचिका में चुनाव आयोग को प्रत्येक बच्चे को मुआवजा प्रदान करने का निर्देश देने की मांग की गई है। फरवरी,2021 में राज्य में चुनावों की घोषणा के बाद कोरोना महामारी के दौरान जिन बच्चों के माता-पिता की मौत हो गई उन सभी मुआवजा देने की मांग की गई है।
एडवोकेट आन रिकार्ड देबाशीष बनर्जी के माध्यम से अध्यक्ष,डब्ल्यूबीसीपीसीआर द्वारा याचिका दायर की गई है और इसमें कहा गया है कि इस तथ्य के बावजूद कि फरवरी 2021 के दौरान कोरोमा महामारी की दूसरी लहर संभावित थी और दूसरी लहर के संबंध में कई संगठनों और चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा की गई भविष्यवाणियों के बावजूद, भारत के चुनाव आयोग ने 26 फरवरी, 2021 को अभूतपूर्व आठ-चरणों में बंगाल के विधान सभा चुनावों की अधिसूचना जारी कर दी।
हाई कोर्ट ने हालांकि अंतरिम आदेश के लिए कोई गुंजाइश नहीं पाई और रिट याचिका में मांगी गई राहत के आधार पर मामले की सुनवाई का फैसला किया। इसी क्रम में कोर्ट ने 13 जनवरी, 2022 या उससे पहले चुनाव आयोग जवाब देने को कहा है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई के लिए 14 जनवरी को होगी। याचिका में यह भी कहा गया है कि चुनाव आयोग ने अपने विवेक का प्रयोग किए बिना लापरवाही से काम किया। आयोग ने सभी की भलाई के लिए अपनी शक्ति का उपयोग करने से परहेज किया और आठ चरणों के दीर्घकालिक चुनाव की घोषणा की, जो बंगाल के लोगों, विशेष रूप से राज्य के बच्चों के लिए विनाशकारी साबित हुए।