कोलकाता : एसोचैम ईस्ट और आईसीआरए ने आज एक कार्यक्रम में ‘टी इंडस्ट्री एट द क्रॉस रोड्स’ शीर्षक से एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट खरीद, प्रसंस्करण से लेकर मार्केटिंग और अन्य वैल्यू एडिशन्स तक क्षेत्र की ताकत और चुनौतियों को बताती है। रिपोर्ट में क्षेत्र के विकास रणनीतिया और संभावनाएं भी बताई गई है। रिपोर्ट जारी करते हुए, एसोचैम टी सेक्टर काउंसिल पूर्व के चेयरमैन मनीष डालमिया ने कहा की, “ चाय उद्योग में परिवर्तन करने और इसे अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए, क्षेत्र में बदलाव और विभिन्न हितधारकों के बीच अधिक सहयोग की मांग करती है। एसोचैम एक मजबूत आर्थिक एजेंडा के लिए संवाद और साझेदारी को सुविधाजनक बनाने का प्रयास करता है। हम क्रॉस इंडस्ट्री एंगेजमेंट को सुविधाजनक बनाने के लिए प्लेटफॉर्म बनाना जारी रखेंगे। मुझे विश्वास है कि आज जारी की गई रिपोर्ट से चाय उद्योग को लाभ होगा, जो देश में सबसे प्रमुख राजस्व और मजदूरी देने वाले क्षेत्रो में से एक है।”
हाल के सालो में वित्त वर्ष 2021 थोक चाय उद्योग के लिए सबसे अच्छे वर्षों में से एक है, लेकिन इसकी स्थिरता की संभावना कम ही दिखती है। फरवरी 2021 के अंत तक मजदूरी में प्रभावी वृद्धि की गई है, उत्पादन बड़े पैमाने पर सामान्य स्तर पर लौटने से कीमतों पर दबाव पड़ा है। नतीजतन, उद्योग को वित्त वर्ष 2022 में एक और चुनौतीपूर्ण साल का सामना करने की संभावना है। इसलिए, उद्योग की दीर्घकालिक स्थिरता के लिए, चाय की कीमतें उत्पादन की लागत की तुलना में लगातार अधिक बनी रहनी चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान, आईसीआरए के उपाध्यक्ष कौशिक दास ने कहा की, यह रिपोर्ट विशेष रूप से उत्तर भारत से बाहर भारतीय थोक चाय उद्योग की रिलेटिव पोजीशन का विश्लेषण प्रदान करती है। ये रिपोर्ट वैश्विक चाय उद्योग में कुछ प्रमुख सफलता कारणों को सामने करती है, जो स्थायी आधार पर उद्योग के बेहतर वित्तीय प्रदर्शन की ओर ले जा सकते हैं।
एसोचैम पूर्व के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा कि , “चाय क्षेत्र का इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है और ये अभी भी लाखों लोगों की आजीविका के लिए प्रमुख भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र में सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए, हमें बदलती डायनमिक्स , भविष्य के वैश्विक रुझानों और उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्थानीय समर्थन हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए। मुझे विश्वास है कि आईसीआरए के साथ जानकारी भागीदार के रूप में तैयार की गई यह रिपोर्ट इस महत्वपूर्ण क्षेत्र के लिए संतुलित सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में एक लंबा रास्ता तय करेगी।
एसोचैम निदेशक पूर्व परमिंदर जीत कौर ने कहा कि रिपोर्ट इस क्षेत्र के सतत विकास के लिए आवश्यक कारकों की पहचान करने में मदद करेगा। विश्व स्तर पर चाय क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है। जलवायु भारतीय चाय को प्रभावित करने एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में तेजी से सामने आया है। गुणवत्ता पूर्ण उत्पादन के लिए आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी अनुकूलन के साथ अन्य मानवीय पक्ष को भी संतुलित करना है।
थोक चाय उद्योग को एक दशक में मजदूरी लागत में लगातार बढ़ोतरी का सामना करना पड़ा है, जबकि चाय की कीमतें काफी हद तक स्थिर रही हैं। छोटे चाय उत्पादकों के उत्पादन में वृद्धि ने चाय की कीमतों पर दबाव डाला है, क्योंकि निर्यात रेंज में रहा है। इससे वित्त वर्ष 2020 में बड़े चाय उत्पादकों के ऑपरेटिंग प्रॉफिटेबिलिटी में दो प्रतिशत की गिरावट आई है।