कोलकाता : प्रदूषण आज एक विकट समस्या बन गया है। यह कई बीमारियों की तुलना में कहीं अधिक खतरनाक है मगर अब तक इस समस्या का समाधान नहीं निकल सका है। भारत में 7 मिलियन लोग हर साल वायु प्रदूषण से मरते हैं। यह याद रखने वाली बात है कि वायु प्रदूषण सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि पूरी शरीर पर घातक प्रभाव डालता है।
राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर इस समस्या के खिलाफ कई मशहूर चिकित्सक एक साथ आये। गत 2 दिसम्बर को इस मौके पर स्विच ऑन फाउंडेशन की तरफ से डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर (डीएफसीए) के सहयोग से एक पत्रकार सम्मेलन का आयोजन किया। इस मौके लंग केयर फाउंडेशन के संस्थापक ट्रस्टी डॉ. अरविंद कुमार की ओर से एक वीडियो के जरिए वायु प्रदूषण के खतरे को सामने रखा गया। यह वीडियो सीएमआरआई के डॉक्टर राजा धर ने प्रस्तुत किया।
पश्चिम बंगाल डॉक्टर्स फोरम के समिति सदस्य डॉ, कौशिक चारकी ने कहा कि औद्योगिक श्रमिक न्यूमोकोनियोसिस, एस्बेस्टोसिस जैसे स्वास्थ्य जनित समस्याओं की चपेट में हैं। इनका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। इस अवसर पर डॉ. अरूप हल्दर, डॉ. कौस्तुभ चौधरी, डॉ. सुमन मल्लिक, डॉ. सैरन्द्री बनर्जी तथा डॉ. संयुक्ता दत्त ने भी विचार रखे।
गौरतलब है कि 2 दिसम्बर को ही भोपाल गैस त्रासदी 1984 में हुई थी और इसके बाद से इसी दिन राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है।
वायु प्रदूषण जीवन शैली को लेकर चिकित्सकों के कुछ परामर्श
– प्रदूषण को लेकर जागरूक बनें। हृदय एवं फेफड़ों के मरीज विशेष रूप से सजग रहें।
– इनहेलर पास रखें। एन 95 मास्क पहनें और सुनिश्चित करें कि यह फिट हो।
– कम ईंधन जलाने वाले वाहन इस्तेमाल करें।
– रेस्तरां में खाना कम करें। अगर मांसाहारी हैं तो सप्ताह में एक दिन सब्जियों और पौधों का उपयोग करें।
– घरेलू वायु शोधक इस्तेमाल करें।
– बच्चों को प्रदूषण से बचायें, पानी और अन्य तरल पदार्थ दें। बाहर खुली हवा में व्यायाम करने को प्रोत्साहित करें।