मधुबनी: 2 साल की उम्र में शादी, गरीबी की मार अलग… घरों में काम करने वाली दुलारी ने खुद नहीं सोचा था कि उनका संघर्ष उन्हें पद्मश्री दिलाएगा। देश का वो सम्मान जिसे पाने की चाह हर किसी में होती है। लेकिन दुलारी को पद्मश्री पुरस्कार मिलने के पीछे छिपा है उनका अनवरत संघर्ष… 54 साल की दुलारी ने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया।
सात हजार मिथिला पेंटिंग बना चुकी हैं पद्मश्री दुलारी देवी
बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली दुलारी देवी का जन्म ही अभावों और गरीबी के बीच हुआ। राजनगर प्रखंड की दुलारी देवी बेहद ही गरीब मल्लाह परिवार में जन्मीं थीं। माता-पिता ने 12 साल की उम्र में ही इनका विवाह कर दिया। सात जन्मों के बजाए दुलारी सात साल में ही ससुराल से मायके वापस आ गईं और वो भी 6 महीने की बेटी की मौत के गम के साथ। पढ़ी लिखीं भी नहीं थीं, क्या करतीं। लेकिन कहते हैं कि अगर औरत हिम्मत न छोड़े तो बहुत कुछ कर दिखाती है। मायके से ही दुलारी ने फिर से संघर्ष शुरू किया। घरों में झाड़ू-पोंछा लगा कर कुछ आमदनी हो जाती थी, दुलारी का जीवन चल रहा था लेकिन नसीब में कुछ और था। हाथों में पोंछे की जगह कूची ने ले ली। इसके बाद मधुबनी पेंटिंग बनाने का जो सिलसिला दुलारी ने शुरू किया वो आज तक नहीं रुका। हाथों में जादू ऐसा कि एक वक्त पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने भी दुलारी की तारीफ की।
किस्मत कब किसे किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दे, कौन जाने। यही दुलारी के साथ हुआ। अपने ही गांव में मिथिला पेंटिंग की मशहूर चित्रकार कर्पूरी देवी के घर दुलारी को झाड़ू-पोंछा करने का काम मिल गया। संगत से गुण होत है, संगत से गुण जात… ये कहावत यहीं से सच होनी शुरू हो गई, खाली समय में दुलारी अपने घर-आंगन को ही माटी से पोतकर और लकड़ी की ब्रश बना मधुबनी पेंटिंग करने लगीं। कर्पूरी देवी का साथ मिलते ही मानों दुलारी के हाथों का जादू बाहर आ गया।
किताबों तक में दुलारी की गाथा दर्ज
गीता वुल्फ की पुस्तक ‘फॉलोइंग माइ पेंट ब्रश’ और मार्टिन लि कॉज की फ्रेंच में लिखी पुस्तक मिथिला में दुलारी की जीवन गाथा व कलाकृतियां सुसज्जित हैं। सतरंगी नामक पुस्तक में भी इनकी पेंटिग ने जगह पाई है। इग्नू के लिए मैथिली में तैयार किए गए आधार पाठ्यक्रम के मुखपृष्ठ के लिए भी इनकी पेंटिग चुनी गई। पटना में बिहार संग्रहालय के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दुलारी देवी को विशेष तौर पर आमंत्रित किया। वहां कमला नदी की पूजा पर इनकी बनाई एक पेंटिग को जगह दी गई है। 2012-13 में दुलारी राज्य पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं।