कोलकाता : नोटबंदी के सालों बाद भी नकदी का जादू जारी है। अब भी यह भुगतान का सर्वप्रिय तरीका बना हुआ है।अब तो इसका इस्तेमाल रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है। 8 अक्टूबर को खत्म पखवाड़े (14 दिन की अवधि) में लोगों के पास नकदी बढ़कर 28.30 लाख करोड़ रुपये हो गयी। यह नोटबंदी से पहले 4 नवंबर 2016 को 17.97 लाख करोड़ रुपये था यानी करीब पांच साल में लोगों के पास नकदी 57.48% बढ़ी है। गत 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने 500 और 1,000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था। बाद में 500 और 2000 रुपये के नए नोट जारी किए गए। नोटबंदी के बाद से सरकार लगातार सिस्टम से कैश घटाने के लिए डिजिटल पेमेंट को प्रोत्साहित कर रही है। यूपीआई जैसे भुगतान के साधनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि, नकदी का इस्तेमाल फिर भी कम होता नहीं दिख रहा।
लॉकडाउन में लोगों के पास बढ़ी नकदी
सिस्टम में कैश के बढ़ने का एक कारण कोरोना महामारी को माना जा रहा है। 2020 में जब कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन लगाया गया था तो अपनी रोजाना की जरूरतों का सामान खरीदने के लिए लोगों ने नकदी को जमा करना शुरू कर दिया था।
त्योहारी सीजन में माँग बढ़ी
त्योहारी सीजन के दौरान, नकदी की माँग ज्यादा रहती है क्योंकि बड़ी संख्या में व्यापारी अभी भी एंड-टू-एंड ट्रांजैक्शन के लिए नकद भुगतान पर निर्भर हैं। लगभग 15 करोड़ लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं होना भी इसकी एक वजह है। इसके अलावा, टीयर 1 सिटी के 50% की तुलना में टियर 4 सिटी में 90% ई-कॉमर्स ट्रांजैक्शन का पेमेंट मोड नकदी होती है।
नकदी का गणित
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार, ‘जनता के पास कैश का कैल्कुलेशन बैंकों के पास मौजूद कैश को सुर्कुलेशन इन करेंसी से घटाकर किया जाता है। सीआईसी का मतलब देश के भीतर मौजूद वो नकदी या करेंसी है जिसका उपयोग उपभोक्ता और व्यवसायी के बीच लेनदेन के लिए किया जाता है।