भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक व शौर्य की उपासक रही है। आज से अनेक वर्ष पूर्व त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने 9 दिन मां भगवती की आराधना उपरांत विजयादशमी के दिन बलशाली रावण का वध कर माता सीता को बंधनमुक्त किया था। भगवान श्रीराम की यह विजय सत्य की असत्य पर, न्याय व धर्म की अधर्म पर, अच्छाई की बुराई पर, पुण्य की पाप पर विजय होने के कारण विजयादशमी महापर्व मनाया जाता है। देवी भगवती के विजया नाम पर दशमी पूर्णातिथि होने के कारण भी विजयादशमी कहा जाता है। आश्विन शुक्ल दशमी को श्रवण का सहयोग होने से विजयादशमी होती है।
‘ज्योतिर्निबंध’ में लिखा है कि-
‘आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयो ज्ञेय: सर्वाकार्यार्थसिद्धये।।’
अर्थात् आश्विन शुक्ल दशमी के सायंकाल में तारा उदय होने के समय विजय काल रहता है, जो सभी कार्यों को सिद्धि प्रदान करता है।
ऋतु परिवर्तन
नवरात्र से ऋतु परिवर्तन की शुरुआत होने लगती है। इन पवित्र दिनों में संयम, सदाचार और ब्रह्मचर्य का व्रत करते हुए शरद ऋतु का स्वागत करना चाहिए और खुद को उसके अनुरूप ढालने का प्रयत्न करना चाहिए।
दशहरे पर पूरे दिनभर ही मुहूर्त होते हैं इसलिए सारे बड़े काम आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं। यह एक ऐसा मुहूर्त वाला दिन है जिस दिन बिना मुहूर्त देखे आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं।
आश्विन शुक्ल दशमी को मनाए जाने वाला यह त्योहार ‘विजयादशमी’ या ‘दशहरा’ के नाम से प्रचलित है। यह त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति का सूचक है। इन दिनों चौमासे में स्थगित कार्य फिर से शुरू किए जा सकते हैं।
दशहरे के दिन भगवान श्रीराम की पूजा का दिन भी है। इस दिन घर के दरवाजों को फूलों की मालाओं से सजाया जाता है। घर में रखे शस्त्र, वाहन आदि भी पूजा की जाती है। दशहरे का यह त्योहार बहुत ही पावनता के साथ संपन्न किया जाता है। उसके बाद रावण दहन किया जाता है।
* भगवान राम-सीता और हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती है।
* विजयादशमी पर शमी वृक्ष का पूजन किया जाता है।
* रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र से भगवान शिव की आराधना की जाती है।
* इस दिन करोड़ों रुपए के फूलों की बिक्री होती है और लोग अपने घर के दरवाजे फूलों की मालाओं से सजाकर उत्सव मनाते हैं।
* इस दिन लोग अपनी-अपनी क्षमतानुसार सोना-चांदी, वाहन, कपड़े तथा बर्तनों की खरीददारी करते हैं।
* इस दिन देशभर में रावण के पुतले बनाकर जगह-जगह जलाए जाते हैं।
* दशहरे के दिन शहर-कस्बों और गांवों में श्रीराम-सीता स्वयंवर प्रसंग, रामभक्त हनुमान का लंकादहन कार्यक्रम, रामलीला का बखान करते हुए राम-रावण युद्ध के साथ रावण दहन किया जाता है।
* इस दिन खासतौर पर गिलकी के पकौड़े और गुलगुले (मीठे पकौड़े) बनाने का प्रचलन है।
* रावण दहन के बाद एक-दूसरे के घर जाकर, गले मिलकर, चरण छूकर बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है और साथ ही शमी पत्तों को एक-दूसरे को बांटा जाता है। यह पावन त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत को दर्शाता है।
(साभार – वेबदुनिया)