सृजनात्मकता से भरी गतिविधियों में खोज लिया समाधान
कोलकाता : कोविड – 19 बहुत ही चुनौतीपूर्ण समय है। लॉकडाउन और घर में रहकर काम करना अगर एक विकल्प बना भी तो इसे अपनाना इतना आसान नहीं था लेकिन बाद में यह हमारी जिन्दगी का हिस्सा सा बना और इसके कारण एक नयी व्यवस्था बनी, वर्चुअल माध्यम, सोशल मीडिया, इंटरनेट के कारण आज जिन्दगी बदल गयी है और इसका असर लम्बे समय तक रहने वाला है। सोशल मीडिया माध्यमों पर बड़े आयोजन भी हो रहे हैं। सरकारी और निजी वार्ताएँ हो रही हैं। बड़ी कम्पनियों तथा संस्थानों के कर्मचारियों ने ‘वर्क फ्रॉम होम’ की संस्कृति को अपना लिया है। शिक्षण संस्थान भी समय के साथ चल रहे हैं। कक्षाएं और कार्यक्रम ऑनलाइन हो रहे हैं और स्कूलों ने कुशलता के साथ परिस्थिति को सम्भाल लिया है। आज हम बात करेंगे सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल की। इस स्कूल में हाल ही में नयी प्रिंसिपल कोइली दे ने पदभार सम्भाला है और उनके पास इस समस्या को लेकर न सिर्फ पूरा रोड मैप तैयार था बल्कि इसे उन्होंने सफलतापूर्वक लागू भी किया।। आज हम सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल की सफलता की यही कहानी आपके सामने रख रहे हैं। बहुत से स्कूल और संस्थान अब भी उलझन में हैं कि कोविड -19 से उत्पन्न परिस्थितियों के बीच स्कूल को कैसे खोला जाए और विद्यार्थियों तथा शिक्षकों की सृजनात्मकता को किस तरह बरकरार रखा जाए।
सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल की ओर से आयोजित एक पत्रकार वार्ता में स्कूल की नयी प्रिंसिपल कोइली दे, हेडमिस्ट्रे विदिशा पांजा, कोकरिकुलर कोऑर्डिनेटर रुबेना चटर्जी (सीनियर सेक्शन) तथा रितु पसारी (जूनियर सेक्शन) ने इन गतिविधियोंके बारे में विस्तार से बताया।
कोविड -19 के दौरान जब बच्चे घर में रहे तो यह दबाव था..हम सब पर था। यह सिर्फ अकादमिक दबाव नहीं था कि बच्चों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पा रही थी क्योंकि स्कूलों में तो ऑनलाइन मोड पर कक्षाएँ ली ही जा रही थीं। एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी था क्योंकि छात्राएँ अपनी सहेलियों से ही नहीं मिल पा रही थीं और बच्चे अपने मन की गतिविधियाँ नहीं कर पा रही थीं। हमारे स्कूल में सलाहकार बच्चों को रोज फोन करते थे। मार्च से लेकर आज तक बच्चों को विभिन्न माध्यमों से मानसिक तौर पर बच्चों को आराम मिले, इसके लिए कई प्रकार की गतिविधियाँ करती थीं। बच्चे संगीत, नृत्य या अपनी किसी अन्य प्रिय गतिविधि से खुद को जोड़ रहे थे।
पिछले साल जब हमने स्कूल खोला तो फ्रेंडशिप पीरियड शुरू किया था। दो कक्षाओं के बीच में जब इंटरवल होता था तो बच्चे अपने दोस्तों से मिलता था और वहाँ कोई शिक्षिका या शिक्षक नहीं रहते थे। छठीं से 12 वीं कक्षा की छात्राओं के लिए इस कक्षा को इंटरवल नाम दिया गया। हम इन चीजों को लेकर सजग थे। छात्राएँ भी ऑनलाइन कक्षाओं को लेकर सजग रहीं। स्कूल खोला गया तो मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक क्लब हमने शुरू किया जिसका नाम आविष्कार है और वर्चुअल माध्यम पर संगीत, नृत्य थेरेवी की व्यवस्था की गयी। गुस्से और तनाव को नियंत्रित करना सिखाया गया। योग, सांस से जुड़े व्यायाम शुरू किय़े गये। पहले स्थिति गम्भीर थी लेकिन अब वे बेहतर थे। वहीं शिक्षक – शिक्षिकाओं के लिए भी काउंसिलिंग के सत्र शुरू किये गये। वर्चुअल कक्षाएँ संचालित करना शिक्षिकाओं के लिए भी कठिन था पर उन्होंने बेहतरीन काम किया। इसमें वित्तीय मामलों पर जानकारी दी गयी। पैसे को कैसे सम्भालना था, यह बचाया गया। अपने स्कूल की शिक्षिकाओं के साथ किया गया। शनिवार को यह दूसरे स्कूलों के लिए उपलब्ध होगा। सीनियर स्तर पर छात्राओं को इसकी जानकारी दी।
अभिभावकों से बहुत सहयोग मिला। आर्थिक समस्याओं को देखते हुए बहुत सी छात्राओं को फीस में छूट मिली। स्कूल प्रबन्धन से लेकर शिक्षक – शिक्षिकाओं ने बहुत अच्छा काम मिला। वर्चुअल माध्यमों पर शिक्षिकाओं से बात होती है। यह बहुत ही अनौपचारिक तरीके से आयोजित होता है जिसमें हम सब शिक्षिकाओं से बात करके उनकी समस्या को समझते हैं। पिछले साल अभिभावकों के लिए एक काउंसिलिंग सत्र आय़ोजित किया गया था। हमने कुकरी, योग, जैसे सत्र आयोजित हुआ। हम एक्सचेंज प्रोग्राम करते थे…कोविड – 19 के दौरान बाधा आयी और इसके बाद वर्चुअल माध्यम पर शुरू किया गया। अब लगता है कि इस दौर ने बहुत कुछ सिखाया। वर्चुअल खेलकूद आयोजित किये गये।
हमने डिजिटल पुस्तकालय शुरू किया गया है। इसमें अनगिनत किताबें रखी जा सकती हैं। कोविड – 19 में सब कुछ बुरा नहीं था, इसे स्वीकार कर आगे बढ़ने के कई तरीके भी हमने सीखे हैं।
वर्चुअल पिकनिक – यह पिकनिक नर्सरी से लेकर तीसरी कक्षा की छात्राओं के लिए आयोजित की गयी थी। इस मौके पर बच्चियों ने थीम के अनुसार परिधान पहने थे। उनके पास पानी की बोतल, कैप और धूप के चश्मे भी थे। एक तरफ जहाँ नर्सरी की छात्राएं डिज्नीलैंड की वर्चुअल यात्रा पर निकलीं तो के जी और पहली कक्षा की छात्राओं ने दुबई के मिरेकल गार्डन की वर्चुअल सैर की। दूसरी कक्षा की छात्राओं की थीम फूल थीं तो उनके लिए बोर्डिग पास भी था और वे श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन गयीं। वहीं तीसरी कक्षा की छात्राएं हॉलीवुड के यूनिर्वसल स्टूडियो स्थित जुरासिक पार्क देखा। छात्राओं को कई खेल खिलाए गये। इस पिकनिक से अभिभावक भी काफी प्रसन्न रहे।
डिजिटल दूरियों की खाई को पाटने के लिए स्कूल में दान उत्सव आयोजित किया गया। स्कूल में सफलतापूर्वक 92 मोबाइल फोन, 9 टैबलेट, 9 डेस्कटॉप, 12 लैपटॉप, 1 टेलीविज़न सेट और अनगिनत सामान जैसे इयरफ़ोन, हेडफ़ोन, कीबोर्ड और माउज़ इकट्ठा किए जा सके।
अंतिम चरण में, इन उपकरणों को जरूरतमंद बच्चों की शैक्षणिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन गतिविधियों से जुड़े चार संगठनों को दान कर दिया गया। शिक्षकों और आरोग्य संध्या के कुछ छात्रों को सुशीला बिड़ला गर्ल्स स्कूल में आमंत्रित किया गया था, जहाँ प्रिंसिपल कोइली दे और हेडमिस्ट्रेस, विदिशा पांजा ने उन्हें उपकरण सौंपे थे। अन्य तीन संगठनों के लिए, किड्स सेंटर, गरियाहाट, राइज, कृष्णानगर और उपेंद्र विद्यामंदिर, शोभाबाजार, स्कूल की मानसिक स्वास्थ्य कल्याण टीम, जिसमें स्कूल के काउंसलर, विशेष शिक्षक और कुछ छात्र उपस्थित रहे।
हमें उम्मीद है कि इस प्रस्तुति से आपको मदद मिलेगी। अगर आपने भी इस तरह के प्रयासों से स्थिति को सुधारने में सफलता प्राप्त की है तो हमसे जरूर साझा करें..आपकी एक कोशिश बहुत से लोगों के लिए वरदान बन सकती है।