Sunday, May 11, 2025
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महामारी के बीच आँखों की सेहत का रखें ध्यान

कोरोना काल में घर में रहकर काम करने से जहां स्क्रीन टाइम बढ़ा है, वहीं ज़ाहिर है, आंखों पर ज़ोर भी ज़्यादा बढ़ा है। आंखों की सुरक्षा व सेहत के लिए किन बुनियादी बातों का ध्यान रखना है।
आँखों को आराम दें
घर में ही रहने से सब हर समय किसी ना किसी स्क्रीन के सामन डटे रहते हैं, जैसे टीवी देख रहे हैं, कम्प्यूटर पर काम कर रहे हैं, या मोबाइल पर आंखें गड़ाए हैं। आँखों को बीच-बीच में थोड़ा आराम दें। लगातार स्क्रीन पर नज़र रहेगी, तो आँखें प्रभावित होंगी। 20 मिनट के स्क्रीन टाइम के बाद 5 मिनट आँखों को बंद करके आराम दें। आंखों को ठंडक देने के लिए खीरे का टुकड़ा या टिश्यू पेपर को गुलाब जल से गीला करके आँखों पर रखें। इससे ये हाइड्रेटेड रहेंगी, थकान उतरेगी और ताज़गी महसूस होगी।
आँखों के लिए व्यायाम
शरीर की तरह आँखों को भी व्यायाम कराएं। आंखों को चारों तरफ़ गोल-गोल घुमाएं। ऊपर और नीचे घुमाएं। कम से कम तीन से चार सेकेंड तक अपनी पलकों को लगातार झपकाएं और फिर आँखें तेज़ी से बंद कर लें। कुछ सेकंड बाद आंखें खोलें। इसके अलावा नज़रें तेज़ करने वाली पहेलियां जैसे दो तस्वीरों में अंतर ढूंढना या अलग वस्तु पहचानें आदि भी आंखों के लिए व्यायाम का काम करेंगी।
तरीक़े बदलिए
रोशनी बंद करके और लेटकर टीवी देखने से आँखों पर तनाव बढ़ता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि हमेशा बैठकर, समुचित दूर से और थोड़ी रोशनी में टीवी देखना चाहिए। टीवी न दाईं ओर और न बाईं ओर बैठकर देखें, हमेशा सामने ही बैठकर देखें। इसके लिए कमरे की व्यवस्था भी उसी प्रकार करें। किताब या मोबाइल देखते वक़्त आंखों को छोटी करके और ज़ोर देकर न देखें, न पढ़ें। आइड्रॉप ज़रूर डालें, लेकिन चिकित्सक के निर्देशानुसार।
रोशनी का ध्यान रखें
केवल स्क्रीन पर काम करते वक़्त ही नहीं बल्कि आँखों का कोई भी काम करते वक़्त रोशनी की अच्छी उपलब्धता ज़रूर रखें, चाहे पढ़ाई कर रहे हों, या मोबाइल का इस्तेमाल या सिलाई-कढ़ाई। भरपूर रोशनी नहीं होगी तो आंखों पर ज़ोर पड़ेगा। अपनी वर्क डेस्क खिड़की के पास बनाएं। यह भी ध्यान रखें कि बाहर की रोशनी सीधे कम्प्यूटर या लेपटॉप पर न पड़े क्योंकि इससे स्क्रीन साफ़ नज़र नहीं आएगी और आंखों पर ज़ोर देकर देखना पड़ेगा। बैठक ऐसे व्यवस्थित करें कि रोशनी हो लेकिन स्क्रीन पर निगाह टिकाते समय आपको आंखों पर अतिरिक्त ज़ोर न देना पड़े।

(साभार – दैनिक भास्कर)

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