रेखा श्रीवास्तव
हमें अपने जीवन में कुछ रिश्ते जन्म के साथ ही मिल जाते हैं, और कुछ रिश्ते समाज या दुनियादारी के नाते हमें बड़े होने पर सौंप दिया जाता है। पर इस दुनिया में केवल एक ही रिश्ता है, जिसे हम चुनते हैं और हमें हमेशा उनकी जरूरत पड़ती है। जिस दिन हम अपने घर से पहला कदम स्कूल जाने के लिए निकालते हैं, तो सबसे पहले हमें परिवार के बाद एक महत्वपूर्ण रिश्ता मिलता है, जो जिंदगी भर खुशियां देता रहता है। वह रिश्ता है दोस्ती का।
दोस्ती ही एक मात्र ऐसा रिश्ता है, जिसमें कोई जाति, कोई धर्म या कोई अमीर-गरीब, काला-गोरा नहीं होता है। यह रिश्ता केवल सच्चे मन से होता है और एकदम खुलापन होता है। इस रिश्ते की मिठास जिंदगी भरी बनी रहती है। इस रिश्ते को खास महत्व देने के लिए अगस्त महीने के पहले रविवार को दोस्ती दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की शुरुआत अगस्त महीने के आगमन से ही हो जाती है, और दोस्ती और प्यार की महक बिखरने लगी है। वातावरण में भी जैसे दोस्ती का खुमार महसूस होने लगा है। एक तरफ सावन की बहार, और दूसरी तरफ दोस्ती की खुशबू यानी पूरी तरह से माहौल खुशनुमा हो गया है।
दोस्ती का सिलसिला शुरू रखने के लिए इंटरनेट के युग में आजकल फेसबुक और व्हाट्सअप बहुत सक्रिय है। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज, कार्यालय और आस-पास रहने वालों में से भी दोस्त की सूची घटती- बढ़ती रहती है। इसके अलावा रोज-रोज मिलने वाले अपरिचित भी कब हमारे दोस्तों की सूची में शामिल हो जाता है, पता ही नहीं चल पाता है। इस बारे में मैं एक बात बताना चाहती हूँ कि मेरी छोटी बेटी इति ने स्कूल जाना शुरू किया है, और रोज उसके नये दोस्त बन रहे हैं। वह छोटी सी बेटी शाम को अपने दोस्तों के नाम और उसके बारे में बताते हुए काफी खुश रहती है, ठीक इसी तरह हम अपने पूरे जीवन भर दोस्त की तलाश करते रहते हैं, और हमें हर पल एक नया दोस्त मिलता रहता है। उसमें से कुछ छूट जाते हैं और कुछ वास्तव में दोस्त बन कर हमारे जीवन में खुशियां बिखरने लगते हैं।
इस दोस्ती भरे माहौल में एक नयापन दिख रहा है, कि आजकल रक्षा बंधन की तरह यह भी रेशम के धागे से बांधा जा रहा है। स्कूल-कॉलेज के बच्चे फ्रेंडशीप बैंड एक-दूसरे की कलाई पर बांध कर दोस्ती दिवस मना रहे हैं। चॉकलेट, आइसक्रीम एक-दूसरे को खिलाकर दोस्ती जैसे रिश्ते को और मजबूत कर रहे हैं। दोस्ती के नाम पर अब लड़के-लड़कियों का भेद लगभग खत्म हो गया है। यह एक अच्छा संकेत है। रिश्ते में विश्वास और अपनापन भी बढ़ा है। पति-पत्नी के रिश्ते में भी दोस्ती की अहम भूमिका है। बल्कि अगर माँ-बेटा, पिता-बेटी, सास-बहू सहित सभी रिश्ते में अगर दोस्ती हो जाये, तब वह रिश्ता और भी मजबूत हो जायेगा।
(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं)
बहुत ही अच्छे तरीक़े से आप ने दोस्ती को परिभाषित किया इसके लिऐ धन्यवाद्