इम्फाल.मणिपुर से आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट (AFSPA) हटाने की मांग को लेकर 16 साल से अनशन कर रहीं इरोम शर्मिला अब चुनाव लड़ेंगी। 44 साल की एक्टिविस्ट के साथियों ने कहा कि इरोम 9 अगस्त को अनशन को खत्म कर देंगी। बताया जा रहा है कि अब वे न केवल मणिपुर असेंबली का चुनाव लड़ेंगी, बल्कि नॉर्मल जिंदगी की ओर कदम बढ़ाएंगी। वे शादी भी करने वाली हैं। बता दें कि अनशन के दौरान उन्हें कई बार अरेस्ट किया गया। जबरन नाक में नली डालकर खाना भी खिलाया गया। लेकिन उन्होंने अपनी जिद नहीं छोड़ी थी।
अपनी इच्छा के बारे में कोर्ट को भी बताया…
इरोम ने कोर्ट को अपनी इच्छा के बारे में जानकारी दे दी है। बता दें कि अनशन को लेकर चल रहे केस के तहत उन्हें हर 15 दिन में कोर्ट में हाजिरी देनी पड़ती है। उनके साथियों ने बताया कि वे इंडिपेंडेंट कैंडिडेट के तौर पर इलेक्शन लड़ना चाहती हैं। बता दें कि इम्फाल के सरकारी हॉस्पिटल में पिछले 16 सालों से उनके लिए एक रूम बुक है। माना जा रहा है कि इरोम डेसमंड कूटिन्हो से शादी करेंगी। दोंनो लंबे समय से एक-दूसरे को जानते हैं।
53 साल के डेसमंड एक ब्रिटिश इंडियन हैं। वे राइटर और सोशल एक्टिविस्ट हैं।
इरोम डेसमंड की फोटो हमेशा अपने पास रखती हैं। उन्हीं के नाम पावर ऑफ अटॉर्नी लिख रखा है। डेसमंड ने जब शर्मिला का संघर्ष ‘बर्निग ब्राईट’ किताब में पढ़ा, तो उन्होंने 2009 में शर्मिला को चिठ्ठी लिखी। तब से वे एक-दूसरे के साथ हैं।
कौन हैं इरोम?
इरोम का जन्म 14 मार्च, 1972 को हुआ था। उन्हें आयरन लेडी भी कहा जाता है। वे इरोम नंदा और इरोम सखी देवी के 9 बच्चों में से सबसे छोटी हैं। इरोम के माता-पिता कोंगपाल में ही किराने की दुकान चलाते थे। वे आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट हटाए जाने की मांग को लेकर 2 नवंबर 2000 से आज तक अनशन पर हैं। बता दें कि उन्होंने यह अनशन असम राइफल्स के जवानों द्वारा एनकाउंटर में 10 लोगों को मार दिए जाने के खिलाफ शुरू किया था। तब वे 28 साल की थीं।
सुसाइड का केस भी चला
2014 में दिल्ली के जंतर-मंतर पर आमरण अनशन करने के लिए उन पर साल 2013 में सुसाइड की कोशिश को लेकर केस चला था। बाद में कोर्ट ने उन्हें इस आरोप से बरी कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि उनका यह प्रदर्शन एक सुसाइड एक्ट है।
क्या है AFSPA?
– आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट संसद में 1958 में पास किया गया था। शुरू में इसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा में लगाया गया था। इसके तहत आर्मी को किसी भी व्यक्ति की बिना वारंट के तलाशी या अरेस्ट करने का विशेषाधिकार है। यदि वह व्यक्ति विरोध करता है, तो उसे जबरन अरेस्ट करने का पूरा अधिकार आर्मी के जवानों के पास है। इतना ही नहीं, कानून तोड़ने वाले किसी भी शख्स पर फायरिंग का अधिकार भी आर्मी को है। अगर इस दौरान किसी की मौत भी हो जाती है, तो उसकी जवाबदेही फायरिंग करने या आदेश देने वाले अफसर की नहीं होती है।
मां ने तब इरोम से कहा था, अनशन टूटने के बाद मिलूंगी 16 साल हो गए बेटी से मिले
इरोम चानू शर्मिला ने असम राइफल्स के जवानों द्वारा एनकाउंटर में 10 लोगों को मारे जाने के खिलाफ यह अनशन शुरू किया था। तब वे 28 साल की थीं। इरोम की मां सखी ने अनशन शुरू होने के दिन ये कसम खाई थी कि अनशन टूटने तक वह बेटी से नहीं मिलेंगी। 16 सालों में वो एक बार भी उससे नहीं मिली हैं। शर्मिला ने कहा कि वे 16 साल पुराने आंदोलन की रणनीति में बदलाव करूंगी। 9 अगस्त के बाद इसका खुलासा करूंगी।