दही खिचड़ी
सामग्री : 1 कप पके हुए चावल, 2 कप दही, 2 चम्मच तेल, एक चौथाई कप दूध, कटा हुआ हरा धनिया, 1 से 2 हरी मिर्च, 1 चम्मच चने की दाल, 1 चम्मच उड़द की दाल, 1 चम्मच राई, डेढ़ चम्मच किसा हुआ अदरक, 2 चम्मच सूखा नारियल, आधा चम्मच नमक।
विधि : तेल गरम करें और उसमें राई डालें। जब राई तड़कने लगे तो उसमें चने और उड़द की दाल डाल दें। एक मिनट बाद उसमें अदरक, धनिया और हरी मिर्च डालें और एक मिनट तक हिलाते रहें। अब इसे गैस से उतार लें और इसमें चावल, नमक और नारियल मिलाएं। इस मिश्रण को दही और दूध में मिलाकर परोसें।
मसालेदार बांग्ला स्पेशल खिचड़ी
सामग्री : 100 ग्राम मूंग की दाल, 250 ग्राम बासमती चावल, एक फूल गोभी (छोटे साइज में), 100 ग्राम मटर दाना,
2 मध्यम आकार के आलू
मसाला सामग्री : 1 टुकड़ा अदरक, 2 हरी मिर्च, आधा चम्मच हल्दी, थोड़ी-सी शक्कर, 2 खड़ी लाल मिर्च, आधा चम्मच जीरा, चुटकीभर हींग, 1 टुकड़ा दालचीनी, तेजपान के पत्ते 2, 3 लौंग, 2 छोटी इलायची, एक बड़ा चम्मच देशी घी, स्वादानुसार नमक, घी में तले हुए कुछेक काजू के टुकड़ें, हरा धनिया।
विधि : पहले चावल दो-तीन बार पानी बदल कर हाथ से मसलकर धो लें। अब आलू को छीलकर लंबे टुकड़ों में काट लें। फूल गोभी को भी बड़े-बड़े टुकड़ों में काट कर रख लें। अदरक कद्दूकस कर लें और हरी मिर्च काटकर रख लें। अब एक कड़ाही में मूंग की दाल को धीमी आंच पर गुलाबी होने तक भून लें। भूनते समय घी न डालें। अब इसमें घी, खड़ी लाल मिर्च, जीरा एवं हींग को छोड़कर बाकी सारी सामग्री और धुले हुए चावल मिलाकर आधा लीटर गरम पानी में धीमी आंच पर पका लें। (पानी अपनी जरूरत के अनुसार कम-ज्यादा कर सकते हैं) ध्यान रहें कि इसे ढंककर पकाएं। इस दौरान बीच-बीच में चलाती रहे। पूरी तरह पक जाए तो समझ लीजिए की आपकी खिचड़ी तैयार हैं। इसे परोसने से पहले एक अलग बर्तन में घी गर्म करके खड़ी लाल मिर्च, जीरा और हींग का छौंक लगाकर खिचड़ी में ऊपर से डाल दें। अच्छी तरह मिलाएं और हरा धनिया और काजू के टुकड़ें बुरकाकर तैयार गरमा-गरम चटपटी बंगाली खिचड़ी कढ़ी के साथ सर्व करें।
(साभार – वेबदुनिया)
ऐसे आई खिचड़ी
कहा जाता है कि खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। इससे योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमजोर हो रहे थे। इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था. इससे शरीर को तुरंत उर्जा मिलती थी. नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। गोरखपुर स्थिति बाबा गोरखनाथ के मंदिर के पास मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी मेला आरंभ होता है। कई दिनों तक चलने वाले इस मेले में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और इसे भी प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है।
(स्त्रोत – इंडिया डॉट कॉम)