130 बालिकाओं को आत्मरक्षा करना सिखा चुकी है
जोधपुर : ओसियां के भैरूसागर गांव की 15 वर्षीय जसोदा प्रजापत का नामांकन अंतरराष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए हुआ है। यह पुरस्कार नीदरलैंड की किड्स राइटस् संस्था देती हैं। वर्ष 2013 में यह पुरस्कार पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई और 2019 में स्वीडन की ग्रेटा थनबर्ग को भी मिला था। वर्ष 2020 के लिए भारत से 17 बच्चे नामांकित हुए हैं, इनमें राजस्थान से दो है। दूसरी बच्ची टोंक के दारदा तुर्क गांव की वसुंधरा हैं। इस वर्ष 42 देशों से 142 बच्चों को नामांकित किया गया है। पुरस्कार की घोषणा 13 नवंबर को होगी।
सेव द चिल्ड्रन के सीईओ सुदर्शन सूचि ने कहा कि जसोदा चार बाल विवाह रुकवाने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में बाल अधिकारों को लेकर उल्लेखनीय काम किया है। वह उरमूल ट्रस्ट के साथ जीवन कौशल शिक्षा सत्रों के माध्यम से 130 से अधिक लड़कियों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं।
पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर लड़कियों की मांग को अधिकारियों को अवगत कराने और उन कामों का फॉलोअप कर उन्हें पूरा करने के अभियानों का नेतृत्व किया है। उन्हें ग्राम पंचायत स्तर की लड़कियों के महासंघ के अध्यक्ष भी चुना गया। बाद में स्वास्थ्य सचिव भी बनाया। 30 जनवरी से 1 फ़रवरी 2019 तक नई दिल्ली में समावेशी राष्ट्रीय बाल संसद में भी भाग लिया। बाल संसद की स्वास्थ्य मंत्री चुना गया था।
किसान परिवार की बेटी, कुरीतियों के खिलाफ लड़ रहीं
सेव द चिल्ड्रन के शादी बच्चों का खेल नहीं परियोजना के समन्वयक नीरज जुनेजा ने बताया कि पंद्रह वर्षीय जसोदा किसान परिवार से है। मां-पिता खेती का कार्य करते हैं। उसके माता पिता ने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जागरूकता लाने और अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेने की छूट दी थी। जशोदा ने बताया कि परिवारों में आज भी मासिक धर्म स्वास्थ्य, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों पर चर्चा नहीं की जाती है। कई पाबंदियों का सामना करना पड़ रहा है। पढाई के दौरान जसोदा ने गांव में उरमूल ट्रस्ट से शादी बच्चों का खेल नहीं क्लस्टर कार्डिनेटर संतोष ज्याणी के संपर्क में आई और जल्दी ही चिल्ड्रन्स ग्रुप की मेंबर बनी। इस दौरान उसने 4 लड़कियों का बाल विवाह रुकवाया।