पटना.जो बच्चे कभी नशे के लिए चोरी करते थे, उन्हें एक महिला कांस्टेबल ने मेडल जीतना सिखा दिया। ये कांस्टेबल हैं- रंजीता कुमारी सिंह जो इंडियन वुमन फुटबॉल टीम की पूर्व खिलाड़ी हैं। रंजीता बिहार के मुंगेर एसएसपी ऑफिस में तैनात हैं। रंजीता बताती हैं- मैं सड़कों पर जब बेघर बच्चों को बोनफिक्स (एक प्रकार की बाम) का नशा करते देखती तो उनके भविष्य के बारे में सोचकर ही कांप जाती थी।
रंजीता ने बताया कि नशा करने वाले कुछ बच्चे तो चोरी तक करने तक लगे थे। कुछ ऐसे भी थे जो मजदूरी या फेरी लगाने वाले परिवार से थे। इनके जीवन को दिशा देने के लिए रंजीता ने अपना हुनर इन्हें सिखाने की ठानी। वे फुटबॉल खेलती थीं तो बच्चों को ग्राउंड पर बुलाना शुरू कर दिया। यह शुरुआत भी आसान नहीं थी। पहले तो उनके माता-पिता फिर बच्चों की काउंसलिंग करनी पड़ी। बच्चे धीरे-धीरे ग्राउंड पर आने लगे। अब रंजीता इन बच्चों को रोज मुंगेर के पोलो ग्राउंड में सुबह छह से आठ बजे और शाम पांच से अंधेरा होने तक ट्रेनिंग कराती हैं।
रंजीता का प्रयास अब आकार भी लेने लगा है, उसकी कोचिंग से फुटबॉल सीखे 50 से ज्यादा बच्चे 12 से 16 आयु वर्ग की नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा ले चुके हैं।इनमें नौ बच्चे तो ऐसे हैं, जो कभी नशे की लत के शिकार थे। रंजीता खुद 20 से ज्यादा बच्चों का स्कूलों में एडमिशन करवा चुकी हैं।
रंजीता से फुटबॉल कोचिंग ले रहा शशि कहता है- मैं नशा करता था। दीदी ने कई बार समझाया। फिर ग्राउंड पर आने लगा। नशा कब छूट गया, पता ही नहीं चला। 11वीं में हूं। छह बार नेशनल खेल चुका हूं। एक अन्य स्टूडेंट सुधीर ने कहा- मेरे पिता सफाई कर्मी हैं। आमदनी ज्यादा नहीं थी इसलिए पढ़ाई रुक गई। दीदी ने स्कूल में दाखिला दिलवाया। फुटबॉल भी सिखाया। नेशनल खेल चुका हूं, इसलिए मुंगेर के सबसे अच्छे जिला स्कूल में स्पोर्ट कोटे से 11वीं में एडमिशन मिल गया। रंजीता से कोचिंग लिए हुए 35 बच्चे नेशनल चैंपियनशिप में खेल चुके हैं। 5 बच्चों का स्पोर्ट्स ऑथारिटी ऑफ इंडिया के लिए चयन हुआ है। दो लड़कों की इंडियन आर्मी में खेल की बदौलत नौकरी हो चुकी है। एक लड़के का रेलवे में चयन हुआ है।
कभी लड़ाई-झगड़े करने वाला कुंदन अब गोलकीपर है। बताता है- बड़े भाई अपराधी थे, उनकी हत्या हो गई। मैं भी उसी राह पर था। एक दिन दीदी आईं। पूछा- गोलकीपर बनोगे? मैंने हां कह दी। आज जिला टीम में हूं। एसएससी पास कर लिया है, नौकरी भी मिल जाएगी।