मुम्बई : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बंबई और शिव नादर यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पर्यावरण अनुकूल लीथियम-सल्फर (एलआई-एस) बैटरियां बनाने के लिए एक तकनीक ईजाद करने का दावा किया है जो इस समय इस्तेमाल की जा रहीं लीथियम-आयन बैटरियों की तुलना में तीन गुना अधिक ऊर्जा क्षमता वाली और किफायती होंगी।
अनुसंधानकर्ताओं के दल के अनुसार एलआई-एस बैटरी की प्रौद्योगिकी हरित रसायन विज्ञान के सिद्धांत पर आधारित है जिसमें पेट्रोलियम उद्योग के सह-उत्पादों (सल्फर), कृषि संबंधी अनुपयोगी तत्वों और कार्डेनॉल (काजू प्रसंस्करण का एक सह-उत्पाद) जैसे कोपॉलीमर्स तथा यूजीनॉल (लौंग का तेल) जैसे कैथोडिक सामग्रियों का उपयोग शामिल है।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि इस प्रौद्योगिकी में अरबों डॉलर के उद्योगों की सहायता की क्षमता है जिनमें तकनीकी गैजेट, ड्रोन, विद्युत चालित वाहन और कई अन्य उत्पादों के कारोबार हैं जो ऐसी बैटरियों पर आधारित हैं।
शिव नादर यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बिमलेश लोहचब ने ‘पीटीआई-भाषा से कहा, ”अनुसंधान में उद्योगों और पर्यावरण की जरूरतों पर एक साथ ध्यान देने के लिए समाधान तलाशने को पर्यावरण अनुकूल रसायन विज्ञान के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। लोहचब की टीम ने आईआईटी बंबई के प्रोफेसर सागर मित्रा के साथ मिलकर इस अनुसंधान का इस्तेमाल लीथियम-सल्फर बैटरी प्रारूप विकसित करने के लिए किया है।
मित्रा ने कहा, ”हमारे लैपटॉप, मोबाइल फोन और स्मार्ट घड़ियों से लेकर बिजली से चलने वाली कार तक इन बैटरियों पर निर्भर रहती हैं।