हाल ही में ज्ञानमंच में कथा कोलाज – 7 के अंतर्गत लिटिल थेस्पियन उमा झुनझुनवाला के निर्देशन में श्रीमती कुसुम खेमानी की तीन कहानियों का मंचन “प्रेम अप्रेम” शीर्षक से किया गया।
कुसुम जी इन तीनों कहानियों के केन्द्र में प्रेम अपने दो प्रबल स्वरूपों में मौजूद है – एक, प्रेम करने की चरम उत्कंठा और दूसरा, प्रेम की उपेक्षा l “एक माँ धरती सी” और “रश्मिरथी माँ” कहानी में माँ के अदम्य साहस का ज़िक्र है कि एक माँ अपने औलाद के लिए कुछ भी कर सकती है वहीँ दूसरी ओर “एक अचम्भा प्रेम” में अपनी जीवनसाथी की मानसिक पीड़ा से आहत एक प्रेमी पति के उस प्रेम का वर्णन है जहाँ प्रेम का अर्थ केवल दूसरों को चाहना मात्र होता है, जिसमे प्रत्याशा नहीं होती, जहाँ प्रेम अँधा होता l