शुभजिता युवा प्रतिभा सम्मान – प्रतिभागी – प्रीति कुमारी साव

 

प्रीति कुमारी साव

शिक्षण संस्थान –  बर्दवान विश्वविद्यालय

प्रतियोगिता – कहानी

विषय – मलेरिया

 ले गया सब मलेरिया

किसी गाँव में एक श्याम नाम का एक गरीब किसान रहता था। वह अत्यन्त गरीब था। उसके परिवार में कुल पाँच सदस्य थे। श्याम उसकी पत्नी आशा और दो पुत्री और एक पुत्र था। बड़ी पुत्री सुमन, जो आठ वर्ष की थी और छोटी पुत्री गंगा जो छः वर्ष की थी और एक तीन वर्ष का पुत्र था जिसका नाम अमन था । परिवार के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी श्याम पर थी। किसी प्रकार से खेती करके दो वक्त भोजन प्राप्त होता था उसके परिवार का गुजारा बड़ी मुश्किल से होता था। ग़रीबी के कारण श्याम के परिवार को कभी-कभी भूखे भी रहना पड़ता था। उसी गाँव में एक गजाधर नाम का एक जमींदार रहता था जो बहुत धनी था, परन्तु बहुत कपटी,छल करने वाला तथा किसानों का शोषण भी करता था। जमीन्दार गजाधर गाँव में गरीबी किसानों को अपने शोषण का शिकार बनाता था । वह गाँव के लोगों की मदद अपना स्वार्थ साधने हेतु करता था लोगों की मदद कर के उनको गुलाम बना देता था । श्याम बहुत गरीब था उसे भूखे पेट सोना मंजूर था परन्तु वह गजाधर जमींदार के आगे हाथ फैलाना नहीं चाहता था जमींदार केवल मौका ढूढ़ता था कि इसका शोषण कैसे किया जाए । एक दिन जब श्याम खेती कर रहा था तभी उसकी बड़ी पुत्री सुमन दौड़ती हुई श्याम किसान के पास आयी और कहने लगी कि “अमन की तबीयत बहुत खराब है।” यह सुनकर किसान अपना काम छोड़कर अपनी घर की ओर बढ़ा । घर जाकर देखा कि उसके पुत्र अमन का शरीर बुखार से जल रहा था किसान की पत्नी आशा चिन्ता के मारे रोने लगी । अमन को बुखार के साथ काफी पसीना आ रहा था ,कंपकंपी सी होने लगी ,सिर दर्द, शरीर में दर्द, जी मचल रहा था ,उल्टी भी हो रही थी ,एक छोटे से तीन वर्ष के बालक पर कष्ट का पहाड़ टूट पड़ा था । किसान और उसका पूरा परिवार चिन्ता में पड़ गया । किसान जल्द ही अमन को गाँव के एक वैघ के पास ले गया । वैघ ने कहा, यह कौई मामूली बुखार नहीं हैं । वैघ इस बिमारी का इलाज़ नहीं कर सकता था ,उसने कहाँ इसे जल्द ही पास के शहर के अस्पताल में ले जाना होगा । गाँव के अस्पताल में कोई व्यवस्था न थी ,शहर के अस्पताल में काफी खर्च होता था और किसान के पास इतने पैसे न थे कि वह अपने पुत्र को शहर के अस्पताल में इलाज करवायें । किसान के पुत्र अमन की हालत बहुत खराब हो रही थी । अंत में श्याम को कपटी जमींदार गजाधर के आगे घुटने टेकने पड़े ,कयोंकि कि गाँव में और कोई उसकी मदद नहीं कर सकता था ।
जमीन्दार ने मौके का लाभ उठाया । उसने कहा, ‘मैं तुम्हारी मदद के लिए तैयार हूँ मैं पैसा दे दूँगा किन्तु एक शर्त हैं कि तुम्हें…”3 सैकड़े के हिसाब से सूद देना होगा और एक महीने के अंदर मेरे पैसे लौटाने होंगे नहीं तो तुम्हें आजीवन मेरे यहाँ गुलामी करनी होगी” किसान के पास कोई दूसरा उपाय न था उसने शर्त मान ली । किसान अपने पुत्र को इलाज के लिए शहर के अस्पताल में ले गया वहाँ पता चला कि उसके पुत्र को मलेरिया हुआ हैं। किसान डॉक्टर से विनती करने लगा कि मेरा एक ही पुत्र हैं ,उसे जो बीमारी (मलेरिया) हैं उसे ठीक कर दीजिये । कुछ दिनों में किसान का पुत्र स्वस्थ होने लगा और धीरे-धीरे पूरी तरह स्वस्थ हो गया। किसान वापस गाँव आ गया किन्तु शर्त के अनुसार उसे एक महिने में सूद के साथ जमींदार से लिए हुए पैसे लौटाने थे । किसान बड़ी मुश्किल से खेती करके परिवार के लिए दो वक्त का भोजन जुटाता था ,अब उस पर कर्ज का भार आ गया। किसान एक महीने में पैसे जुटाने में समर्थ न हो सका ,अंत में किसान को आजीवन जमींदार गजाधर के यहाँ गुलामी करनी पड़ी ।।

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