कोलकाता : विद्यार्थी मंच एवं मुक्तांचल की ओर से ‘कहानी का समकाल एवं मुक्तांचल 24 ‘ विषय पर केंद्रित विचार संवाद का आयोजन हावड़ा के बासंती लाल सभागार में सम्पन्न हुआ । इस अवसर कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कथाकार विमल वर्मा ने कहा कि कहानी का जन्म संघर्ष और अन्तर्विरोध से होता है और संवेदना कहानी की आत्मा है । स्वागत भाषण देते हुए प्रो मीरा सिन्हा ने कहा कि मुक्तांचल का यह अंक निरंतरता का परिणाम है ।हम नए रचनाकारों को सृजनात्मक संवाद और लेखन का पर्याप्त अवसर देने का प्रयास करते हैं ।डॉ शंभुनाथ ने कहा कि कहानी जीवन में यथार्थ का चित्र नहीं है लेकिन उससे मिलता जुलता जरूर है ।कहानियाँ सच कहने के लिए झूठ रचने की कला है ।इस अंक की संपादिका प्रो शुभ्रा उपाध्याय ने कहा कि कहानी के भीतर कथाकार के जीवन के कई स्तरों का पाठ होता है ।कहानी के बनने की प्रक्रिया में दृष्टि और जीवन का मिश्रण होता है ।कथाकार सिद्धेश ने कहा कि कहानी जीवन के अनकहे को कहने का एक लोकप्रिय माध्यम है।प्रो मनीषा झा ने कहा कि समकालीन कहानी को हमारे समय के बदलावों को गम्भीरता से ग्रहण करने और व्यक्त करने का सशक्त माध्यम है ।डॉ रीता सिन्हा ने कहा कि आज की कहानियाँ हमारे समय के यथार्थ को दर्ज करती हैं ।सुबोध कुमार श्रीवास्तव ने इस अंक में संकलित सभी कहानियों का विश्लेषण करते हुए कहा कि आज का कहानीकार यथार्थ के जटिलताओं को अनावृत्त करता है। डॉ विमलेश्वर द्विवेदी ने कहा कि हमें समकालीन कहानी का एक प्रमुख सूत्र नई कहानी की परंपरा से जोड़कर देखना चाहिए ।प्रो गीता दूबे ने कहा कि मुक्तांचल के इस अंक वसुधा के कहानी विशेषांक से जोड़कर देखा और कहा कि समकालीन कहानी के केंद्र में सामाजिक विमर्श की आहट है।इस अवसर पर एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया ।इसमें वसुंधरा मिश्र, प्रदीप धानुक, रमारमाकांत सिन्हा, अनीशा साबरी,जीवन सिंह, कालिका प्रसाद उपाध्याय, राज्यवर्द्धन, सेराज खान बातिश, कालीप्रसाद जायसवाल ने अपनी कविताओं का पाठ किया ।इस अवसर पर उपस्थित थे मृत्युंजय, महेश जायसवाल, विनीता लाल, विनोद यादव, सुशील पांडे, परमजीत पंडित, सोनू संगम, शिवप्रकाश दास और गुड़िया राय ।धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डॉ इतु सिंह ने कहा कि समकालीन कहानी नए विमर्शों को प्रतिरोध और सामाजिक सम्बद्धता से जोड़ने का काम करता है।