मुम्बई : देश की दिग्गज आईटी कंपनी इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने आईआईटी मुंबई के टेक फेस्ट में अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि 1974 में सर्बिया और बुल्गारिया के सीमावर्ती शहर निस में ट्रेन यात्रा के दौरान एक कड़वे अनुभव ने उन्हें “दयालु पूंजीवादी’ में बदल दिया। जिसके बाद उन्होंने इंफोसिस को बनाया।
घटना को याद करते हुए मूर्ति ने बताया, “मैं ट्रेन में एक लड़की से बातचीत कर रहा था, जो केवल फ्रेंच समझ सकती थी। हम बुल्गारिया में जीवन के बारे में बात कर रहे थे। उस बीच लड़की के साथी लड़के को किसी वजह से परेशानी हुई और वह उठा और पुलिस लेकर आ गया। इसके बाद बुल्गारियाई गार्ड ने मेरा पासपोर्ट, लगेज सब जब्त कर लिया और मुझे घसीटकर ले गए। मुझे एक छोटे से कमरे में बंद कर दिया गया।”
तय किया था कम्युनिस्ट देश का हिस्सा नहीं बनना चाहूंगा
मूर्ति ने बताया कि अगले दिन पुलिस उन्हें प्लेटफार्म पर ले गई और एक मालगाड़ी के गार्ड के डिब्बे में धक्का देकर बैठा दिया। मूर्ति ने बताया कि पुलिस के जवान ने उनसे कहा कि तुम मित्र देश से हो, इसलिए हम तुम्हें जाने दे रहे हैं। इस्तांबुल पहुंचने पर तुम्हारा पासपोर्ट तुम्हें दे देंगे। इस दौरान पांच दिन तक मूर्ति के पास खाने-पीने के लिए कुछ भी नहीं था।
मूर्ति ने बताया कि तभी उन्होंने सोचा कि अगर कोई देश दोस्त के साथ ऐसा बर्ताव करता है, तो मैं कभी भी एक कम्युनिस्ट देश का हिस्सा नहीं बनना चाहूंगा। मूर्ति ने कहा कि इस घटना ने मुझे भ्रमित वामपंथी की जगह “दयालु पूंजीपति’ बना दिया। मैंने तभी अपना कारोबार करने के बारे में निश्चय कर लिया था।