कोलकाता : सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित होने वाले हिंदी मेला का यह रजत जयंती वर्ष है। आज 25वें हिन्दी मेले के पहले दौर का उद्धाटन भारतीय भाषा परिषद में विभिन्न शिक्षण संस्थानों से आये विद्यार्थियों के बीच काव्य नृत्य के प्रदर्शनों से हुआ। इस अवसर पर हिन्दी मेला के संयुक्त महासचिव प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि हिन्दी मेला ने कोलकाता में नई पीढ़ी के बीच साहित्य के लोकप्रियकरण का एक अभियान शुरू किया था। इसके 25 साल के सफर में बांग्ला के साहित्यकार सुभाष मुखोपाध्याय, महाश्वेता देवी और तसलीमा नसरीन से लेकर हिन्दी के साहित्यकार नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह आदि कई महत्वपूर्ण साहित्यकार भाग ले चुके हैं। इस बार मेले में कोलकाता एवं नजदीक के जिलों के 80 से अधिक शिक्षण संस्थान भाग ले रहे हैं। यूको बैंक के वरिष्ठ हिंदी अधिकारी अमल दास ने सहयोग का हाथ बढ़ाते हुए कहा कि हिंदी मेला कोलकाता की एक विशिष्ट पहचान है जिसमें सैकड़ों विद्यार्थी और युवा भाग लेते हैं। सौ से अधिक विद्यार्थियों ने कवियों की कविताओं की आवृत्ति की तथा राजस्थानी, मैथिली, भोजपुरी आदि लोकगीतों पर अपनी प्रस्तुति दी। निर्णायक मंडली में चंद्रिमा मंडल, पापिया पांडेय, सुषमा त्रिपाठी, इतु सिंह, देवजानी, राजेश मिश्र, उत्तम ठाकुर, मधु सिंह शामिल थीं। आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. शंभुनाथ कहा कि हिंदी मेला कला और साहित्य को जोड़ने का अभियान है। इस बार हिन्दी मेला मानवता के सामने उपस्थित अभूतपूर्व संकट के दौर में विध्वंस की जगह राष्ट्रीय पुनर्निर्माण का संकेत बनकर आयोजित हो रहा है। कार्यक्रम का सफल संचालन पंकज सिंह ने किया। अंत में रामनिवास द्विवेदी ने धन्यवाद देते हुए कहा कि 26 दिसंबर से शुरू होने वाला दूसरे दौर का हिन्दी मेला इस बार कई अनोखे कार्यक्रम के साथ शुरू होने जा रहा है