कोलकाता : तुलसी के साध्य राम हैं पर साधन है उनकी कविता। कविता को परिभाषित करते हुए तुलसीदास कहते हैं जो आम आदमी को संतुष्ट करती है, उनकी समस्याओं का समाधान करती है वह कविता है। तुलसी के राम सबके लिए हैं। तुलसीदास जप-तप एवं योग पर भरोसा न करके सुमिरन पर करते हैं। उनका काव्य हमारे भीतरी एवं बाहरी तापों का शमन करता है, यही कारण है कि वे सामाजिक समरसता के अद्भुत एवं क्रांतिकारी कवि माने जाते हैं। ये कथन हैं राजस्थान साहित्य अकादमी, जयपुर के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रख्यात कवि डॉ० इंदुशेखर तत्पुरुष के जो सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय द्वारा आयोजित तुलसी जयंती समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। उन्होंने कहा तुलसीदास अपनी कविताओं में नयी-नयी उपमाएं व उद्भावना लाते हैं इसलिए सांस्कृतिक क्रांतिकारी माने जाते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो० चक्रधर त्रिपाठी ने कहा कि तुलसीदास ने रामचरित मानस में हमारी अस्मिता को वाणी दी है। रामचरित मानस का अध्ययन आवश्यक है इसे बिना पढ़े समझे हम भारत को पहचान नहीं सकते। रामचरित मानस का लक्ष्य ही है आदर्श मानव की स्थापना एवं आदर्श परिवार की स्थापना करना।
कार्यक्रम का शुभारम्भ जालान बालिका विद्यालय की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से हुआ। तत्पश्चात जालान काॅलेज की छात्राओं एवं कामायनी पाण्डेय द्वारा तुलसीदास जी के पदों की सांगीतिक प्रस्तुति की गयी। अतिथियों का स्वागत किया संदीप जालान, अनुराधा जालान, ईशान जालान एवं अपूर्वी जालान ने तथा स्वागत भाषण दिया पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ० प्रेमशंकर त्रिपाठी ने कहा कि तुलसी का काव्य हमारा मार्गदर्शक है इसके माध्यम से हमें राम की कृपा सहज ही प्राप्त हो सकती है।
उक्त कार्यक्रम में शहर के प्रतिष्ठित साहित्यकार और विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक एवं छात्र और तुलसी प्रेमियों की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में महावीर प्रसाद बजाज, अरुण प्रकाश मल्लावत, पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, शांतनु मुखर्जी, दिनेश शर्मा, विजय तिवारी, अरविन्द तिवारी, एवं परमजीत पंडित की सक्रीय भूमिका रही।