चेन्नई : जलसंकट से जूझ रहे चेन्नई के वैल्लोर जिले में हाल ही में ट्रेन से 25 लाख लीटर पानी पहुँचाया गया। चेन्नई के ज्यादातर शहरों में जलस्तर काफी हद तक नीचे गिर चुका है। बारिश होने के बाद ऐसी स्थिति दोबारा न बने, इसके लिए मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के इंजीनियरों ने ऐसी डिवाइस (नोजल) बनाई है, जो 95% तक पानी की बर्बादी को रोक सकती है। हर घर में रोजाना 35 लीटर पानी की बचत कर सकती है।
नल से एक मिनट में 600 मिली पानी निकलता है
नोजल को ऑटोमाइजेशन तकनीक से तैयार किया गया है। इस तकनीक के कारण नल से एक मिनट में 600 मिली पानी निकलता है, जबकि सामान्य नल से 1 मिनट में 12 लीटर पानी निकल जाता है। इससे 95% तक पानी बचा सकते हैं। इसे ऐसे समझिए- एक बार हाथ धोने पर औसतन 600 मिली पानी खर्च होता है। नई डिवाइस का इस्तेमाल किया जाए तो हाथ धोने पर 15-20 मिली पानी खर्च होगा।
स्टार्टअप के संस्थापक अरुण सुब्रमण्यन के मुताबिक, डिवाइस प्लंबर के बिना नल में महज 30 सेकंड में फिट की जा सकती है। नोजल पूरी तरह तांबे का बना है। यह मेटल पानी की क्वालिटी को सुधारने के साथ हार्ड वॉटर के लिए भी बेहतर है। डिवाइस पानी की एक बूंद को छोटी-छोटी बूंदों में तोड़ती है, ताकि नल से निकलने वाला पानी जल्द से जल्द अधिक हिस्से को कवर कर सके। इसकी शुरुआत भी थोड़ी अलग थी। अरुण के मुताबिक, मेरी पड़ोसी पर्यावरणविद नजीबा जबीर ने मुझसे कहा कि उन्हें किचन के लिए ऐसी डिवाइस की जरूरत है जो पानी बचा सके। इसके बाद हमने बनाने की तैयारी शुरू की। वैज्ञानिकों ने ऑटोमाइजेशन तकनीक को 1950 में विकसित किया था। इसके तहत पानी का दबाव जितना बढ़ेगा, उतनी बचत की जा सकेगी। यही डिवाइस का आधार है।
प्रोटोटाइप करने में लगे 6 महीने
इसका पहला प्रोटोटाइप तैयार करने में 6 महीने का समय लगा। इसकी टेस्टिंग पड़ोसियों से कराई गई लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिली। लोगों ने इसमें कई बदलाव करने का सुझाव दिया। कुछ महीनों की मेहनत के बाद इसे और बेहतर बनाया गया। इसे तैयार करने में इंस्टीट्यूट के स्टूडेंट और स्टार्टअप के काे-फाउंडर रोशन कार्तिक का भी अहम योगदान रहा। मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर ने डिवाइस देखने के बाद इसे लोगों तक पहुंचाने की सलाह दी। नजीबा जबीर की आर्थिक मदद से स्टार्टअप की शुरुआत हुई।