सनातन संस्कृति में गुरु की महिमा का काफी महिमामंडन किया है। शास्त्रों में कहा गया है कि गुरु के बगैर ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है। किसी शुभ काम की शुरुआत करने के लिए गुरु की सलाह और उनके आशीर्वाद का काफी गुणगान किया गया है। साथ ही मानव जीवन में गुरु के मार्गदर्शन में चलने के महत्व को भी बताया गया है। धर्मशास्त्रों में गुरु के बताए रास्तों पर चलकर इंसान ने साधारण मानव से महामानव तक का सफर तय किया है, वहीं देवताओं ने भी गुरु के सानिध्य में जगत कल्याण किया है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। शास्त्रों में गुरु को देवी-देवताओं से ऊंचा दर्जा दिया गया है क्योंकि गुरु के बताए मार्ग पर चलने से और गुरु की दी गई शिक्षाओं के पालन करने से व्यक्ति को भगवान की आराधना का फल मिलता है। इसलिए कहा गया है कि