रायपुर : नीलांबर कोलकाता द्वारा हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि एवं लेखक विनोद कुमार शुक्ल पर केंद्रित कार्यक्रम ‘रंग विनोद’ का आयोजन रायपुर के वृंदावन सभागार में 21 अप्रैल को किया गया।कार्यक्रम के आरंभ में उनके जीवन एवं रचनाकर्म पर आधारित ‘हम जैसा उन्हें जानते हैं’ शीर्षक से नीलांबर द्वारा निर्मित एक वीडियो फिल्म दिखाई गई।स्वागत वक्तव्य देते हुए नीलांबर संस्था के अध्यक्ष यतीश कुमार ने कहा कि संस्था हमेशा साहित्य के उत्थान के लिए प्रयासरत है।उन्होंने बताया है कि नीलांबर द्वारा प्रत्येक वर्ष किसी एक महत्वपूर्ण रचनाकार के समग्र रचनाकर्म पर आधारित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे । इसी श्रृंखला का यह पहला आयोजन है।इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी के सुप्रसिद्ध कवि एवं आलोचक अशोक वाजपेयी ने की। इस कार्यक्रम के व्याख्यान सत्र में विनोद कुमार शुक्ल के रचना कर्म को समग्रता से देखने का प्रयास किया गया।इस सत्र के मुख्य वक्ता थे नरेश सक्सेना, बसंत त्रिपाठी, संजीव बख्शी, गीत चतुर्वेदी, शाश्वत गोपाल शुक्ल, आशीष मिश्र और योगेश तिवारी। सभी वक्ताओं ने उनके रचना कर्म के विभिन्न पहलुओं पर सारगर्भित चर्चा की।
सर्वप्रथम शाश्वत गोपाल शुक्ल ने अपने पिता विनोद कुमार शुक्ल के जीवन एवं रचनाकर्म से जुड़े कई संस्मरण सुनाए।उन्होंने कहा कि पिताजी ने घर पर पढ़ने का संस्कार दिया।मुक्तिबोध और हरिशंकर परसाई से हमारा साक्षात्कार उन्हीं के मार्फत हुआ। युवा आलोचक योगेश तिवारी ने विनोद कुमार शुक्ल के उपन्यासों में प्रकृति चित्रण पर विस्तार से बताते हुए कहा कि उनके उपन्यासों की दुनिया जादुई यथार्थ रचते हैं। उनके उपन्यासों की प्रकृति अज्ञेय की असाध्य वीणा की तरह है। विनोद कुमार शुक्ल की भाषा पर प्रकाश डालते हुए युवा आलोचक आशीष मिश्र ने कहा कि वे भाषा की स्वाभाविकता को तोड़ते हैं। उन्हें पढ़ते हुए रघुवीर सहाय याद आते हैं।इनकी कविताओं के बिम्ब विस्तार से खुलते हैं।यह वस्तुसत्ता का सूक्ष्म अन्वेषण है।कथाकार संजीव बख्शी जी ने विनोद कुमार शुक्ल की कविता में छत्तीसगढ़ को रेखांकित किया। उनकी कविता ‘रायपुर-बिलासपुर संभाग’ के संदर्भ के आधार पर उनकी कविता और भाषा में छत्तीसगढ़ी शब्द शक्ति पर प्रकाश डाला।अन्य कविताओं में छत्तीसगढ़ी समाज जिस तरह आया उसे विस्तार से व्यक्त किया।वे छत्तीसगढ़ी सरलता, सहजता के चितेरे हैं।बसंत त्रिपाठी ने विनोद कुमार शुक्ल के ‘जादुई यथार्थ’ पर प्रकाश डाला। उनके उपन्यासों में अविश्वसनीय चित्र हैं जो विमुग्धकारी है।वे ‘लकड़ी की बंदूक’ से धायं की आवाज निकालने वाले लेखक हैं।वे उपन्यास कहते हैं, लिखते नहीं।गीत चतुर्वेदी ने विनोद कुमार शुक्ल की कविता में प्रेम पर प्रकाश डाला।उनकी कविता में जहाँ प्रेम नहीं हो वहां भी वे प्रेम स्थापित कर लेते हैं ।उनकी कविताओं में अबोध प्रेम की भावना अधिक है।उनकी कविताएं मनुष्य को देखने की दृष्टि है। उनकी कविताओं में सूक्ष्म काया का प्रेम है। उनकी कविता में घर पृथ्वी की तरह आता है और प्रेम भी उसी तरह आता है।उनकी कविता में प्रेम सर्वकल्याणकारी तत्व की तरह रहा है। उन्होंने कविता के आस्वादन की परंपरा को बदल दिया।वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने उनके आरंभिक दिनों को रेखांकित किया।
उन्होंने युवा अवस्था में लिखी कविताओं और संस्मरणों को रोचकता से प्रस्तुत किया ।वे साधारण को असाधारण तरीके से प्रस्तुत करने वाले हिंदी के अकेले कवि हैं।उनकी कविता भाषा के व्याकरण को लगातार बदलती रहती है। अशोक बाजपेयी ने हिंदी कविता की परंपरा में विनोद कुमार शुक्ल की जगह तलाशते हुए कहा कि वे गोत्रहीन और वंशहीन कवि हैं।साहित्य में उनका कोई पूर्वज नहीं है।वे अतियथार्थ के कवि हैं। उनमें किसी नाटकीयता का उद्यम नहीं है। वे स्थानीयता के लिहाज से मुक्तिबोध और श्रीकांत वर्मा से भी बड़े कवि हैं। उनकी कविता में पारंपरिक रस फिट नहीं बैठते हैं इसलिए मैं इसे एक नया रस मानते हुए ‘विनोद रस’ कहता हूँ। वे विचारशील कवि हैं एवं उनकी कविता का भूगोल आश्चर्यजनक है। व्याख्यान सत्र का संचालन संजय राय ने किया।
दूसरे सत्र की शुरुआत विनोद कुमार शुक्ल की कविता ‘हताश से एक व्यक्ति बैठ गया था’ पर नीलांबर द्वारा निर्मित वीडियो के प्रदर्शन से हुआ। इसके बाद नीलांबर की टीम द्वारा उनके साहित्य के हिस्सों को लेकर बने कोलाज एवं उनकी कहानी ‘गोष्ठी’ पर इसी नाम से बनी फिल्म प्रदर्शित की गयी, जिसे ऋतेश पांडेय ने निर्देशित किया है। इस फिल्म में मूख्य भूमिका निभाई ऋतेश पांडेय, यतीश कुमार, विमलेश त्रिपाठी,स्मिता गोयल,विशाल पांडेय एवं दीपक कुमार ठाकुर ने।विमलेश त्रिपाठी ने विनोद कुमार शुक्ल पर लिखी कविता सुनाई।कार्यक्रम के अंत में उनके रचनाकर्म के सहयात्री रहे नरेश सक्सेना के हाथों मानपत्र एवं अशोक वाजपेयी के हाथों स्मृति चिन्ह देकर विनोद कुमार शुक्ल का सम्मान किया गया।मान पत्र का पाठ अनिला राखेचा ने किया। विनोद कुमार शुक्ल की पत्नी सुधा शुक्ल का सम्मान रंगकर्मी एवं अभिनेत्री कल्पना झा द्वारा किया गया । इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा विनोद कुमार शुक्ल का कविता पाठ।धन्यवाद ज्ञापन छत्तीसगढ़ फिल्म और विजु़अल आर्ट सोसायटी के अध्यक्ष सुभाष मिश्र ने किया। सत्र का संचालन आनंद गुप्ता और ममता पांडेय ने किया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ और देश के विभिन्न हिस्सों से भारी संख्या में आए साहित्यप्रेमी मौजूद थे।कार्यक्रम के संयोजन में मनोज झा एवं अभिषेक पांडेय की महत्वपूर्ण भूमिका रही।कार्यक्रम के आयोजन में छत्तीसगढ़ फिल्म एंड विजु़अल आर्ट सोसायटी ने सहयोग किया।
– आनंद गुप्ता
नीलांबर कोलकाता