Tuesday, December 16, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]

लीक से हटकर भी फिल्में बननी चाहिए

रेखा श्रीवास्तव

जनवरी का महीना हो। रविवार हो। दोपहर का समय हो और आपको फिल्म देखने की इच्छा हो जाये। और उसके ऊपर आपको टिकट भी आपको फिल्म शुरू होने के दस मिनट पहले आसानी से मिल जाए तो खुद को भाग्यशाली ही समझिये। उस पर से भी काउंटर पर आपसे मनपसंद सीटें पूछे तो सच मानिए यकिन दिलाने के लिए खुद को चिमटी काटनी ही पड़ती है। मेरे साथ ऐसा ही हाल में हुआ। मैं फिल्म देखने पहुंची और देखा कि मल्टीप्लेक्स के एक हॉल में गिने चुने ही कुछ लोग फिल्म देखने आये हैं। यह फिल्म थी संजय बारू की किताब ‘द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर ‘ पर आधारित निर्देशक विजय रत्नाकर गुट्टे की फिल्म’ द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर ‘। मुझे राजनीति समझ में नहीं आती इसलिए इसको देखने की इच्छा नहीं थी लेकिन पिछले कई दिनों से हो रही चर्चा से मेरे अंदर कोतूहल जाग उठा। मुझे लगा कि चलो राजनीति फिल्म देख कर शायद कुछ राजनीति के बारे में जान सकूं। सच मानिये। बहुत कुछ तो राजनीति के बारे में जान नहीं पायी, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में बहुत जान पायी। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का किरदार निभा रहे अनुपम खेर के अभिनय को देखकर महसूस हुआ कि एक पीएम भी क्या इस तरह से हो सकते हैं। उनके अंदर की घुटन का मुझे अनुभव हो रहा था। उन्होंने राजनीतिक परिवार की भलाई की खातिर देश के सवालों का जवाब देने के बजाय चुप्पी साधे रखी। फिल्म में कुछ ऐसी बातें भी हैं, जो पूर्व पीएम की इमेज को साफ करने के साथ-साथ धूमिल भी कर रही है। इस फिल्म में दिखाया गया है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पुस्तक ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर लिखने के बाद वो अपने प्रिय संजय बारू से नाराज हो गये और उसके बाद उनसे कभी नहीं मिले, क्यों नहीं मिले। उनके प्रिय रहे संजय को अचानक क्यों दूर कर दिया। इत्यादि… इत्यादि सवाल मेरे अंदर चल रहे हैं। 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पीएमओ से जुड़ी जिस दुनिया को दिखाया गया है, उससे मैं उस दौर के बारे में बहुत कुछ समझ पायी। । मनमोहन सिंह का किरदार निभा रहे अनुपम खेर का अभिनय तो जबरदस्त हैं लेकिन कई बार उनका चलना, बोलना अखरता है। कई बार तो हास्यास्पद भी लगता है। ऐसे लग रहा था कि उनके अंदर बहुत कुछ चल रहा है। संजय बारू यानी पुस्तक के लेखक का किरदार निभा रहे अक्षय खन्ना का अभिनय तो बहुत अच्छा है। मुख्य भूमिका में भी वे ही हैं। उन्हें सूत्रधार के रूप में भी दिखाया गया है, पर कई बार उनके बोलने का अंदाज अखरता हैं। समझ में नहीं आता कि उनको इतना ज्यादा फोकस क्यों किया गया है। वो प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार है। उसके साथ-साथ सबसे बड़ी बात है कि प्रधानमंत्री को समझते हैं। उनके लिए लिखते हैं। सीधे उनके साथ काम करना चाहते हैं। पीएमओ में उनका आना-जाना भी है। वहाँ उनके कई दुश्मन भी हैं, और उनका डंटकर सामना भी करते हैं। इसके बावजूद दर्शक उनके अलग अंदाज में बोलने का रहस्य नहीं जान पाते हैं। वैसे अक्षय खन्ना का अभिनय तो काबिले तारीफ है, लेकिन इसके बावजूद उनका अलग तरह से पेश आना, दर्शकों को कई बार खटकता है। लेकिन फिर भी दर्शकों से संजय का एक जुड़ाव हो जाता है। फिल्म की कहानी कुछ इस तरह से है । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (सुजैन बर्नेट) को जीत मिलती है। वह स्वयं पीएम बनना चाहती हैं लेकिन बन नहीं पाती हैं। उनका बेटा राहुल गांधी (अर्जुन माथुर) जो राजनीति को समझ नहीं पा रहा है इसीलिए उसको पीएम नहीं बनाया जा रहा है इसलिए पीएम बनने के लिए मनमोहन सिंह को चुना जाता है। वो पीएम बनते भी हैं। उनमें कई बार ऊर्जा दिखाई भी देती हैं लेकिन वह फिर सिमट जाते हैं। आखिरमें वह इस्तीफा देना चाहते हैं लेकिन उन्हें इजाजत नहीं मिलती। प्रियंका गांधी (आहना कुमरा) अच्छी दिखती हैं। इस फिल्म में उस दौर के कई मुद्दे दिखाये गये हैं। यह भी पता चला कि कैसे प्रधानमंत्री अपनी ही पार्टी के लोगों से अलग होते रहे और त्रस्त होते रहे हैं। निर्देशक विजय रत्नाकार गुट्टे ने इस फिल्म को बहुत ही अच्छे तरीके से बनाया है। फिल्म की कहानी बहुत ही अच्छी है। चुस्त दुरुस्त हैं। इस फिल्म को देखने के बाद किताब को पढ़ने की इच्छा भी जाग रही है। मुख्य कलाकारों में केवल अनुपम खेर, अक्षय खन्ना ही हैं। इसके अलावा मनमोहन की पत्नी का किरदार निभा रही दिव्या सेठ के सीन तो कम हैं, लेकिन उनका अभिनय भी दर्शकों को याद रह जायेगा। इसके अलावा सब गिने-चुने ही हैं और अभिनय भी खास नहीं है। गाना तो केवल एक है, लेकिन अच्छा है। गुनगुनाने का मन करता है। वैसे यह फिल्म प्रेम, रोमांस से अलग हटकर बनी है और एक अलग तरह की भी है, इसलिए मुझे लगता है कि इस तरह की फिल्में बननी चाहिए जिससे लोग प्रेम, रोमांस के अलावा विषय के बारे में भी जान सके।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

शुभजिताhttps://www.shubhjita.com/
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।
Latest news
Related news