जयपुर.2014 इंचियोन एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीत चुकी खुशबीर कौर नेशनल पैदल चाल कामपिटीशन में हिस्सा लेने जयपुर पहुंची हैं। बता दें कि इस एथलीट के पास कभी जूते तक खरीदने के पैसे नहीं थे। पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
मां की हिम्मत ने दिया हौसला
– खुशबीर ने बताया कि मेरी मां ने हमारे लिए क्या नहीं किया।
– पिता (बलकार सिंह) का 2000 में हार्टअटैक से निधन हो गया था। हम पांच भाई-बहन हैं।
– मां (जसवीर कौर) ने हमें कैसे-कैसे पाला है मैं ही जानती हूं।
– अब मैं चाहती हूं कि मां को हर वो खुशी दे पाऊं जिसकी वे हकदार हैं।
– मां की हिम्मत है कि उन्होंने हम तीनों बहनों (हरजीत, करमजीत और मुझे) एथलीट बनाया।
– उन्होंने बताया कि मां के जिद के बाद सबसे पहले मेरी बड़ी बहन हरजीत ने एथलेटिक्स में हिस्सा लेना शुरू किया।
– उसके बाद मैंने पैदल चाल में करियर बनाया और अब मेरी तीसरी बहन करमजीत भी पैदल चाल में हिस्सा ले रही है और जयपुर में आयोजित हो रही प्रतियोगिता से उसके भी ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने की पूरी उम्मीद है।
कभी बिना जूतों के दौड़ी थी
– शुरू में रनर बनना चाहती थी, लेकिन वॉकिंग ज्यादा पसंद थी। 2007 में स्टेट चैंपियन बनी।
– गांव के आसपास बिना जूतों के ही वाॅक करती थी और मेरी दीदी साइकिल पर मुझे फॉलो करती थी।
– 2008 में जूनियर नेशनल में भी बिना जूते पहने ही दौड़ी थी और सिल्वर मेडल जीता था।
– इसके बाद मेरे कोच पूर्व एशियन चैंपियनशिप पदक विजेता बलदेव सिंह ने मुझे ट्रेनिंग गियर दिलवाए।
टोक्यो में पक्का पदक आएगा
– खुशबीर कहती हैं 1986 में पैदल चाल में केवल एक भारतीय एथलीट ने हिस्सा लिया था।
– लंदन ओलिंपिक के लिए 4 एथलीटों ने क्वालिफाई किया।
– रियो ओलिंपिक में पैदल चाल में और ज्यादा एथलीट हिस्सा लेंगे।
– उम्मीद यही है कि रियो नहीं तो 2020 टोक्यो ओलंपिक में पक्का पैदल चाल में पदक आएगा। मैं तब तक अपनी तैयारियां जारी रखूंगी।