कोलकाता : 75 साल की एक वृद्धा ने स्तन कैंसर को दो-दो बार मात देकर जिंदादिली की मिसाल पेश की है। बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के डायमंड हार्बर इलाके की रहने वाली वह वृद्धा 2017 में स्तन कैंसर से पीड़ित हो गयी थी। मामला इतना गंभीर था कि ऑपरेशन कर उनके स्तन को अलग करना पड़ा था।
चिकित्सकीय भाषा में इस तरह के ऑपरेशन को ‘मोडिफाइड रैडिकल मैसेकटामी’ कहा जाता है। ऑपरेशन के बाद वृद्धा स्वस्थ हो गई थीं लेकिन ढाई साल बीतते न बीतते कटे स्तन वाली जगह पर ट्यूमर पैदा हो गया। परीक्षा करने पर फिर से कैंसर पनपने का पता चला, हालांकि वृद्धा ने इस बार भी हार नहीं मानी। निजी अस्पतालों में इलाज काफी महंगा था इसलिए वृद्धा के परिजन उसे कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले आए।
अस्पताल के ब्रेस्ट एंड एंडोक्राइन सर्जरी डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉक्टर धृतिमान मैत्र ने बताया कि सबसे पहले हमने बायोस्पी कर कैंसर की पुष्टि की। गत सोमवार को इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। वृद्धा अब पूरी तरह स्वस्थ हैं, हालांकि उनके स्वास्थ्य पर कड़ी नजर रखी जा रही है।’
डॉक्टर मैत्र ने आगे कहा- ‘कोरोना काल में इस तरह का ऑपरेशन बेहद मुश्किल था लेकिन महिला मरीज जीना चाहती थी इसलिए हमने भी इस चुनौती को स्वीकार किया। मेडिकल जांच में वृद्धा की छाती की हड्डी में कैंसर फैलने का पता चला था।इस कारण उस हिस्से को काटकर अलग किया गया, जिसके कारण उनकी छाती में एक बड़ा सा गड्ढा हो गया। बहुत सी टिश्यू मांसपेशियों को भी ऑपरेशन करके अलग करना पड़ा है। पेट के निचले हिस्से के मांस को काटकर छाती में बने गड्ढे को भरा जाएगा।
(साभार – दैनिक जागरण)