यूपी बोर्ड ने बदला अपना फैसला
कानपुर । यूपी के कानपुर के यशवर्द्धन शहर की शान हैं। मात्र 11 साल के हैं, और सिविल सेवा, एनडीए और एसएससी के अभ्यार्थियों को निःशुल्क कोचिंग देते हैं। यश का आईक्यू लेवल 129 हैं। यश 7वीं क्लास के विद्यार्थी थे। उनके अभिभावक चाहते थे कि आईक्यू लेवल के हिसाब से बेटे का दाखिला 9 वीं कक्षा में हो जाए। यश की प्रतिभा ने इतिहास रचा और यूपी बोर्ड को भी अपने नियमों से आगे जाकर यश का दाखिला 9वीं कक्षा में देने में कोई आपत्ति नहीं है । यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि 9 वीं में दाखिले के लिए आयु सीमा 14 वर्ष है । यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद यश का आईक्यू को देखते हुए 7 वीं से सीधे 9 वीं क्लास में एडमीशन देने का फैसला किया है। इसके लिए परिषद के सचिव ने जिला विद्यालय निरीक्षक को पत्र जारी किया है।
चकेरी थाना क्षेत्र स्थित शिवकटरा में रहने वाले अंशुमन सिंह पेशे से डॉक्टर हैं। परिवार में पत्नी कंचन, बेटी आनवी और बेटे यशवर्धन के साथ रहते हैं। यशवर्द्धन की मां कंचन प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। सातवीं क्लास का छात्र सिविल सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यार्थीयों को कोचिंग दे रहा है। जिसने भी यश की प्रतिभा के बारे में सुना हैरान रह गया। यश का बचपन स्कूल और किताबों के बीच बीता है। जन्म के बाद से ही स्कूल के क्लास रूम यशवर्धन के प्ले ग्राउंड रहे हैं। किताबों के ढेर को पकड़कर खड़े होना और चलना सीखे हैं। इसी वजह से यश किताबों से प्यार करते हैं।
किताबों के बीच बीता बचपन
यश के पिता अंशुमान सिंह ने बताया कि यश की मां प्राथमिक विद्यालय में शिक्षिका हैं। यश जब बहुत छोटा था, तो उस वक्त पत्नी की नियुक्ति औरैया जिले में थी। जिसकी वजह से यश की देखभाल नहीं हो पाती थी। यश अपनी मां के साथ वैन से स्कूल जाता था, और छुट्टी के बाद साथ में वापस लौटता था। स्कूल के क्लास रूम यश के लिए खेल के मैदान थे। क्लास रूम में रखी किताबों को पकड़कर खड़े होना और फिर चलना सीखा था। इसी वजह से उसे किताबों से बहुत प्यार है।
9 वीं क्लास में दाखिले के लिए संघर्ष
यशवर्द्धन शिवकटरा स्थित रघुकुल स्कूल में 7 वीं क्लास के छात्र हैं। यश का आईक्यू स्तर 129 है, इस जिहाज से यश को 9 वीं क्लास का छात्र होना चाहिए था। यश के अभिभावक चाहते थे कि बेटे का दाखिला 9 वीं कक्षा में हो जाए। लेकिन उत्तर प्रदेश माध्मिक शिक्षा परिषद की गाइड लाइन है कि 9 वीं कक्षा के छात्र की उम्र 14 साल होनी चाहिए। जिसकी वजह से यश का दाखिला 9 वीं क्लास में नहीं हो पा रहा था।
विशेषाधिकार का किया प्रयोग
यश के पिता ने बताया कि कम उम्र के प्रतिभाशाली बच्चों को दाखिला देने का विशेषाधिकार है। इस संबंध में मैंने उच्च शिक्षामंत्री से मुलाकात कर पूरी बताई थी। शिक्षामंत्री ने डॉयरेक्टर एजुकेशन को पत्र लिखने के लिए कहा था। इसके बाद सचिव को पत्र भेजा था। सचिव ने डीआईओएस को पत्र भेजकर रिपोर्ट मांगी थी। डीआईओएस कानपुर ने यश का राजकीय मनोविज्ञानशाला में आईक्यू परीक्षण कराया था। यश की बौद्धिक स्तर 129 था। इसके बाद डीआईओएस ने अपनी रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी थी। लेकिन जांच रिपोर्ट लंबित पड़ी हुई थी।
यश के पिता डॉ अंशुमन सिंह ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव दिव्यकांत शुक्ल का पत्र मिला है। पत्र जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखा गया है। यश को सातवीं से 09 वीं क्लास में प्रवेश देने के लिए कहा गया है। इसके साथ यश अपनी इच्छानुसार विद्यालय भी चुन सकते हैं।
प्रतियोगी परीक्षाओं में पढ़ाते हैं
यशवर्द्धन सिविल सेवा, एसएससी और एनडीए के अभ्यर्थियों को राज व्यवस्था, भूगोल, देश-विदेश का इतिहास जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर लेक्चर देते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाली कोचिंग में यश निःशुल्क पढ़ाते हैं। अभ्यर्थियों की ऑनलाइन और ऑफलाइन क्लास लेते हैं। यश जब बोलना शुरू करते हैं, तो लोग सिर्फ उनको सुनते हैं। इतिहास, भूगोल जैसे विषय जुबान पर रटे हुए हैं।
आईएफएस बनना चाहते हैं यश
यशवर्द्धन अपने अभिभावकों के साथ ही साथ शहर और देश का नाम रोशन करना चाहते हैं। भारत को विश्वगुरू बनते हुए देखना चाहते हैं। यश का आईएफएस (भारतीय विदेश सेवा) ऑफिसर बनकर युनाईटेड नेशन इंडिया का नेतृत्व करना चाहते हैं। यश को भारतीय राजनीति में खासी रूचि है। लेकिन राजनीति से दूर रहना चाहते हैं।
यश को क्यों कहा जाता है छोटा इतिहासकार
यशवर्द्धन सिंह का जैसा नाम वैसा काम भी है। यश को छोटे इतिहासकार के नाम से भी जाना जाता है। इसी वर्ष जनवरी 2022 में यश ने अपना नाम छोटे इतिहासकार का रेकॉर्ड दर्ज कराया है। लंदन की संस्था हार्वर्ड वर्ल्ड रेकॉर्ड अंतर्राष्ट्रीय संबंध और इतिहास विषय में सबसे छोटा इतिहासकार के रूप में दर्ज किया था।
यश के पिता अंशुमन बताते हैं कि यश की मां सिविल परीक्षाओं की तैयारी कर रही थीं। यश उस दौरान छोटा था, मां को देखकर किताबों का अध्ययन शुरू कर दिया। पढ़ते-पढ़ते उसे अच्छा ज्ञान हो गया। किसी भी विषय को पढ़ाने से पहले यश खुद इसकी तैयारी करता है। संपूर्ण जानकारी करने के बाद ही, उस विषय पर लेक्चर देता है। यश का सबसे अच्छा हुनर है कि अपने वक्तव्य को छात्रों के सामने इस प्रकार रखता है कि सुनते ही उसे दिमाग में बैठ जाए।
रिपोर्ट-सुमित शर्मा
(साभार – नवभारत टाइम्स)