राजकुमार सिंह
मुम्बई : मुम्बई में कांदिवली निवासी 53 वर्षीय मनमोहन रणजीतसिंह मेहता की कोविड योद्धाओं के बीच एक खास पहचान है। वे आम आदमी और कोरोना योद्धाओं को नाश्ता खाना वगैरह के अलावा कोरोना से लड़ी जा रही लड़ाई में लगने वाले जरूरी सामान तक मुहैया कराते हैं। यहां तक कि किसी को भी ब्लड या प्लाज्मा चाहिए, तो वह भी सहजता से उपलब्ध कराते हैं। मनमोहन ने देश-विदेश में 103 बार रक्तदान किया है। उन्होंने देश में ही नहीं, विदेशों में भी रक्तदान किया है। इनका एक टेंपो पूरे दिन शहर भर में जरूरी व उपयोगी सामान लेकर घूमता रहता है। जहां से भी कॉल आया, टेंपो उस ओर मुड़ जाता है।
हर जगह पहुंचाते हैं मदद
राजस्थान में अजमेर जिले के किशनगढ़ तहसील स्थित फतेहगढ़ गांव के निवासी मनमोहन मेहता रियल इस्टेट कारोबार से जुड़े हैं, लेकिन समाजसेवा इनका नशा है। लायंस क्लब इंटरनैशनल में बांद्रा से तलासरी तक के डिस्ट्रिक्ट चेयरमैन भी हैं। कोविड काल के कितने पीपीई किट, सैनिटाइजर, ग्लब्स, मास्क इत्यादि बांटे, कितनों को नाश्ता-खाना भेजा उसका आंकड़ा नहीं रखते। वे कहते हैं कि इसका हिसाब क्या रखना, सेवा का हिसाब-किताब को ऊपर वाला रखता है। आम आदमी और कोरोना योद्धाओं के जरूरत का सामान पहुंचाने के लिए उन्होंने एक विशेष टेंपो रखा है, जो पूरे शहर में घूमता रहता है। मनमोहन से शायद ही ऐसा कोई सरकारी या बीएमसी का अस्पताल, दवाखाना, कोविड सेंटर बचा हो, जहां इन्होंने सामान नहीं पहुंचाया हो।
अस्पतालों में प्लाज्मा की काफी माँग
कोविड काल के दौरान 150 से ज्यादा लोगों को मनमोहन ने प्लाज्मा और 30 से ज्यादा लोगों को प्लेटलेट मुहैया कराया है, लेकिन प्लाज्मा का जिक्र करते ही वे दुखी हो जाते हैं। कहते हैं प्लाज्मा की मांग बीएमसी व राज्य सरकार के अस्पताल या फिर बड़े निजी अस्पताल शायद ही करते हो, लेकिन कुछ चुनिंदा अस्पताल बहुत ज्यादा प्लाज्मा की मांग मरीजों के रिश्तेदार से करते हैं। प्लाज्मा मुहैया करने का उनका मन नहीं करता, क्योंकि यह बहुत ज्यादा उपयोगी नहीं है।
‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए मनमोहन कहते हैं कि प्लाज्मा से ज्यादा कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन अस्पताल वाले जब मांगते हैं, तो परिजन को व्यवस्था करनी पड़ती है। वे कहते हैं कि प्लाज्मा के बाबत एसओपी होना चाहिए, ताकि आम आदमी को अस्पतालों की लूट से बचाया जा सके। वे कहते हैं हमारे पास जो लोग प्लाज्मा के लिए आते हैं उनके लिए व्यवस्था करनी पड़ती है।
विदेश में भी किया है रक्तदान
मनमोहन ने देश में ही नहीं, विदेश में भी रक्तदान किया है। खाड़ी देश कुवैत और दुबई में 4 बार रक्तदान किया है। पेरिस में रक्तदान करने लिए गए थे, लेकिन समय के अभाव के कारण नहीं कर सके।
स्विट्जरलैंड में रक्तदान करने गए लेकिन उस देश ने यह कहते हुए रक्तदान स्वीकार नहीं किया कि वे पर्यटकों का रक्तदान स्वीकार नहीं करते। मनमोहन हर 3 महीने में ब्लड डोनेशन करते हैं। हर साल 125 से 150 रक्तदान कैंप का आयोजन भी कराते हैं, जिसमें छात्रों को रक्तदान के लिए प्रोत्साहित
(साभार – नवभारत टाइम्स)