Wednesday, April 23, 2025
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34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव, अब नहीं होंगी 10 व 12वीं की बोर्ड परीक्षाएँ

एम.फिल खत्म, अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे विद्यार्थी 
मानव संसाधन मंत्रालय अब होगा शिक्षा मंत्रालय

नयी दिल्‍ली :कैबिनेट ने नयी शिक्षा नीति (New Education Policy 2020) को हरी झंडी दे दी है। 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा कि ये नीति एक महत्वपूर्ण रास्ता प्रशस्‍त करेगी। ये नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी। इस नीति पर देश के कोने कोने से राय ली गई है और इसमें सभी वर्गों के लोगों की राय को शामिल किया गया है। देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि इतने बडे़ स्तर पर शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन हुआ है।

अहम बदलाव  नयी शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा। बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक विषय के तौर पर पढ़ाये जाएंगे।

– 9वीं से 12वीं कक्षा तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी। स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा

-वहीं कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि कि स्नातक के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्‍लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी.

– 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें उच्च शिक्षा नहीं लेनी है। वहीं उच्च शिक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले विद्यार्थी एक साल में एम.ए. कर सकेंगे।
– अब विद्यार्थियों को एम.फिल नहीं करनी होगी बल्कि एम. ए. के छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे।

इतने बड़े पैमाने पर संग्रहित की गयी थी राय
इस शिक्षा नीति के लिए कितने बड़े स्तर पर रायशुमारी की गई थी, इसका अंदाजा इन आंकड़ों से सहज ही लगाया जा सकता है. इसके लिए 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6,600 ब्लॉक्स, 676 जिलों से सलाह ली गयी थी.
विद्यार्थी बीच में कर सकेंगे दूसरे कोर्स
उच्च शिक्षा में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा। वहीं नयी शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है।
उच्च शिक्षा में भी कई सुधार किए गए हैं. सुधारों में ग्रेडेड अकादमिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता (फाइनेंशियल ऑटोनॉमी) आदि शामिल हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे. एक नेशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (NETF) शुरू किया जाएगा। बता दें कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं।
सरकारी, निजी, डीम्‍ड सभी संस्‍थानों के लिए होंगे समान नियम
हायर एजुकेशन सेक्रटरी अमित खरे ने बताया, ‘ नए सुधारों में तकनीक और ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया गया है. अभी हमारे यहां डीम्ड यूनविर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटीज और स्टैंडअलोन इंस्टिट्यूशंस के लिए अलग-अलग नियम हैं। नयी शिक्षा नीति के तहत सभी के लिए नियम समान होंगे।

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