31 मंत्रालय, 584 योजनाएं, इस साल 96 हजार करोड़ खर्च; कितना फायदा- पता ही नहीं

अमित कुमार निरंजन
नयी दिल्ली : 1950 में संविधान संशोधन कर पहली बार एससी/एसटी आरक्षण को मान्यता दी गई। 2017-18 के बजट के मुताबिक कें केन्द्र सरकार 31 मंत्रालयों के जरिए इन वर्गों के लिए 584 स्कीमें चला रही है। योजनाओं पर इस वर्ष 95 हजार 754 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन, इतना पैसा खर्च करने और तमाम योजनाओं को चलाने व आरक्षण देने से आखिरकार एससी/एसटी वर्ग को कितना, क्या और कैसा फायदा हो रहा है, इसका कोई हिसाब-किताब सरकार या अारक्षण से जुड़ी दूसरी तमाम एजेंसियों के पास है ही नहीं।
भाजपा-कांग्रेस दोनों आरक्षण के खिलाफ रहे। एक ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट दबाई, दूसरे ने लागू करने वाले की सरकार गिराई। इस समय एससी वर्ग को 15 और एसटी वर्ग को 7.5% आरक्षण सरकारी नौकरियों में मिल रहा है। इस गंभीर मुद्दे को खंगालते हुए भास्कर ने सरकार और आरक्षण की मांग या विरोध करने वाले संगठनों से दो सवाल पूछे। पहला- कितने एससी/एसटी वर्ग के परिवारों ने आरक्षण का फायदा लिया और कितने वंचित हैं? दूसरा- एससी/एसटी की कल्याणकारी योजनाओं का नतीजा क्या है?
इन दोनों ही सवालों के पुख्ता जवाब किसी के पास नहीं मिले। सिर्फ योजनाओं के लाभ बताने के मामले में ही पांच मंत्रालय थोड़ी-बहुत जानकारी दे पाए। आरक्षण को लेकर हुए बड़े आंदोलनों में अब तक 180 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
मंत्री के पास भी नहीं जवाब
भास्कर ने करीब 10 राजनीतिज्ञों, 30 वर्तमान व रिटायर्ड आईएएस, 10 सामाजिक और राजनीतिक संगठनों और आंकड़े जुटाने वाले विशेषज्ञों से बात की। केन्द्रीय समाज कल्याण मंत्री थावर चंद गहलोत ने तो दो टूक कह दिया कि- यह आंकड़ा जुटाना असंभव है कि कितने दलितों-आदिवासियों को आरक्षण का फायदा हुआ या कितने वंचित रह गए। ऐसा कोई आंकड़ा मंत्रालय के पास नहीं है। हालांकि, उनके ही मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि एससी/एसटी वेलफेयर स्कीम पर कई मंत्रालय रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इसलिए वे इस तरह के आंकड़े नहीं दे पा रहे हैं।
दावा- एससी वर्ग के सिर्फ 10% लोगों को आरक्षण का फायदा
दलित कार्यकर्ता और नेशनल कैम्पेन फॉर दलित ह्ययूमन राइटस के जनरल सेक्रेटरी पॉल दिवाकर ने बताया कि इस तरह का आंकड़ा मिलना फिलहाल मुश्किल है। मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के पूर्व प्रोफेसर और भारत में जाति और रिजर्वेशन विषयों के विशेषज्ञ पी राधाकृष्णन ने बताया कि पूरे देश में एससी वर्ग के अधिकतम औसत 10% लोग ही आरक्षण का फायदा उठा पा रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति के चलते इस बात की समीक्षा नहीं हो पा रही है कि एससी वर्ग में ही कितने कमजोर लोगों को रिजर्वेशन का फायदा मिला।
बड़े अफसरों के बच्चों को न मिले आरक्षण लाभ’
बिहार में सवर्ण क्रांति मोर्चा के संयोजक कुमार सौरभ सिंह ने बताया कि यह बात सही है कि आरक्षण के फायदे नुकसान से संबंधित डेटा किसी के पास नहीं है। अखिल भारतीय सिविल एवं प्रशासनिक सेवा परिसंघ के पूर्व अध्यक्ष बाबा हरदेव ने बताया उत्तरप्रदेश में अनुसूचित जातियों में से सिर्फ 5% से 10% लोग हैं जो रिजर्वेशन का फायदा ले पा रहे हैं बाकी के करीब 90% अनुसूचित जातियों के लोग ऐसे हैं जो रिजर्वेशन का फायदा नहीं ले रहे हैं। इसलिए क्लास 1 और 2 रैंक वाले अधिकारियों के बच्चों को रिजर्वेशन का फायदा नहीं दिया जाना चाहिए। ताकि अन्य एससी वर्ग के लोगों को इसका फायदा मिल सके।
अगली जनगणना में आंकड़े जुटाने का सुझाव
आरक्षण से संबंधित आंकड़ों की उपलब्धता पर दैनिक भास्कर ने सांख्यिकी मंत्रालय के एक संस्थान में अधिकारी रह चुके प्रोफेसर एमआर सलूजा से भी बात की। सलूजा ने बताया कि ये बात सही है कि फायदे-नुकसान का डेटा अभी किसी भी रिपोर्ट में नहीं है। लेकिन सरकार चाहे तो आंकड़ा एकत्रित कर सकती है। जनगणना 2021 के दौरान इस तरह के आंकड़े मिल सकते हैं। जो फॉर्म लोगों से इस दौरान भरवाए जाते हैं, उसमें एक सवाल यह भी रख सकते हैं। इस तरह से यह पता लग जाएगा कि एक ही परिवार की कितनी पीढ़ियों को आरक्षण का फायदा मिला है या एक भी परिवार को फायदा नहीं मिला है।
भास्कर ने पूछे 2 सवाल
सवाल-1 : कितने एससी/एसटी वर्ग के परिवारों ने आरक्षण का फायदा लिया और कितने वंचित हैं?
सवाल-2 : एससी/एसटी की कल्याणकारी योजनाओं का नतीजा क्या है
4 जिम्मेदारों के जवाब
सरकार : यह पता लगाना बेहद मुश्किल।
दलित संगठन : ऐसा कोई आँकड़े नहीं, लेकिन समाज का फायदा हुआ है।
सवर्ण संगठन : आंकड़े नहीं पता, लेकिन देश का नुकसान हुआ है।
विशेषज्ञ : आंकड़े अभी नहीं हैं, लेकिन जनगणना के समय डेटा जुटाना संभव है।

(साभार – दैनिक भास्कर। यह इस अखबार की तरफ से किया गया सर्वेक्षण है जिसे हमने जस का तस दिया है।)

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