28 साल लगे, गुरिंदर ने 5 देश घूमकर लिखी सारागढ़ी ; 21 सिख कैसे दिखते होंगे, इसके लिए 3 पीढ़ियों के पोट्रेट बनवाए

अमृतसर : सारागढ़ी की जंग में 10 हजार पठानों के छक्के छुड़ाने वाले 21 सिख सूरमाओं पर बनी अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘केसरी’ आ गयी। इसका इंतजार भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लोगों को था। इंतजार करने वालों की इस फेहरिस्त में वह व्यक्ति भी शामिल है, जिसने इस फिल्म की मूल कहानी के साथ-साथ शहीदों की तस्वीर भी तैयार करवाई, जो फिल्म का आधार बनी। इनका नाम गुरिंदरपाल सिंह जोसन है। गुरिंदरपाल ने इस पूरे प्रोजेक्ट को तैयार करने में अपनी जिंदगी के 28 साल लगा दिए। गुरिंदरपाल अमृतसर के न्यू बाग रामानंद इलाके के रहने वाले हैं। फिलहाल वे सपरिवार अमेरिका में रहते हैं। गुरिंदरपाल ने 1987 में इस कहानी पर काम करना शुरू किया था। शुरुआती दौर में लेख लिखे और उनके परिवारों से संपर्क कर जानकारियां जुटाने लगे। 1997 में अमेरिका चले गए और काम बीच में ही रुक गया। वहां जाने के बाद फिर उन्होंने इस पर काम शुरू किया। वे बताते हैं कि उनका एक ही सपना रह गया था कि 21 सूरमाओं की शहादत को लोगों के सामने लाया जाए। उन्होंने बताया कि सारी सामग्री इकट्ठा करने के बाद 2011 में कहानी पूरी हुई। इसके बाद 2014 में ‘ए सागा ऑफ वैलर- द एपिक बैटल ऑफ सारागढ़ी’ किताब का रूप दिया।
एक परिवार से दूसरे का पता चला
गुरिंदपाल सिंह जोसन ने बताया, “चूंकि इन शहीदों के परिवार भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों में भी रहते हैं। उनसे जानकारी जुटाने के लिए हिंदुस्तान, पाकिस्तान, यूके, कनाडा और अमेरिका का दौरा किया। एक परिवार मिलने के बाद दूसरे का पता चला। इन्हीं कड़ियों को जोड़ते-जोड़ते मैं सभी सिखों के परिवारों तक पहुंचा। इसके लिए एक-एक देश में कई-कई बार चक्कर लगाने पड़े। कुछ के पते मिलने के बावजूद वह शिफ्ट कर चुके थे। फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी। इसमें 28 साल का वक्त लगा।”


21 सूरमाओं की फोटो के लिए एक चित्रकार की मदद ली
गुरिंदपाल ने बताया, “उस वक्त फोटो का चलन नहीं था, इस वजह से सभी की तस्वीर जुटाना खासा मुश्किल था। इसके लिए एक चित्रकार की मदद ली। हरेक शहीद के परिवार की तीन पीढ़ियों की फोटो जुटाईं। हरेक शहीद के पोट्रेट बनते और बिगड़ते रहे। 25वीं कोशिश में पोट्रेट तैयार हुए।” इन 21 शहीदों की याद में ब्रिटिश सरकार ने सारागढ़ी में उनका स्मारक बनवाया था। ब्रिटिश सरकार ने उन शहीदों को मरणोपरांत बहादुरी का सर्वोच्च पुरस्कार इंडियन ऑर्डर ऑफ मेरिट प्रदान किया। जोसन ने बताया कि 2014 में फिल्म केसरी बनाने वाले डायरेक्टर निर्देशक सिंह से उनकी मुलाकात हुई थी। तभी मैंने फिल्म बनाने की अनुमति दे दी थी।

21 सिख जवानों ने 600 अफगान लड़ाके मार गिराए थे
सारागढ़ी नार्थ ईस्ट फ्रंटियर स्थित किला हुआ करता था। अफगान पठान अक्सर वहाँ से हमले किया करते थे। इसलिए ब्रिटिश सरकार ने पोस्ट बनाकर 36 सिख रेजिमेंट के जवानों को तैनात किया था। 1897 में 10 हजार अफगान लड़ाकों ने पोस्ट पर हमला कर दिया।
किले पर सिर्फ 21 सिख जवान थे। लड़ाई शुरू होने से पहले ब्रिटिश सरकार ने जवानों को पलायन करने को कहा, लेकिन हवलदार ईशर सिंह के नेतृत्व में टीम नहीं हटी। वे दुश्मन से जूझ पड़े। 12 सितंबर 1897 को इन जवानों ने दुश्मन से लोहा लिया और छक्के छुड़ाते हुए शहादत तो दी, लेकिन 600 से अधिक अफगानों को मार गिराया। सारागढ़ी आज पाकिस्तान की सेना के कब्जे में है। जोसन ने पाक सेना से संपर्क करके उसकी मरम्मत करवायी और वहां शहीदों के नाम उकेरे गए। पास में ही वे शहीदों के नाम पर पार्क और गुरुद्वारे का भी निर्माण करवा रहे हैं।
किरदार निभाने वालों में 12 पंजाब से, अक्षय समेत तीन अमृतसर के
‘केसरी’ में पंजाब के 13 कलाकार हैं, जिनमें अक्षय कुमार के अलावा प्रितपाल पाली और अधृत शर्मा अमृतसर के हैं। इनमें जैतो से गुरप्रीत कोटी, हरभगवान सिंह, रंगदेव, चमकौर साहिब के हरबिंदर औजला, फतेहगढ़ साहिब के हरमन कैंडी, पटियाला के राजदीप धालीवाल, जालंधर के सुरमीत बतरा, मुक्तसर साहिब के हरमन ढिल्लों, लुधियाना के विक्रम चौहान के नाम शामिल हैं।
(साभार – दैनिक भास्कर में प्रकाशित शिवराज द्रुपद की खबर)

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