यूं तो भारतीय सेना में महिलाओं की नियुक्ति बहुत पहले से होती आ रही है लेकिन ये पहला मौका था जब महिला जवानों को सीमा की पहरेदारी का काम सौंपा गया। हाथों में बंदूकें लिए एसएसबी महिला जवान दिनरात सीमा की रखवाली में तैनात हैं। एसएसबी देश की पहली पैरा मिलिट्री फोर्स है जिसने सबसे पहले महिला जवानों की भर्ती की और उन्हें सरहद की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी। भारत और उसके पड़ोसरी देश नेपाल के बीच खुली सीमा है. ये करीब 17050 किलोमीटर में फैली हुई है. इस खुली सीमा का फायदा उठाकर कई बार आतंकवादी दाखिल हो जाते हैं. पिछले डेढ़-दो दशकों से ऐसा ही होता आ रहा है. लेकिन एसएसबी यानी सशस्त्र सीमा बल की महिला जवानों की मुस्तैदी से देश विरोधी गतिविधियों पर रोक लगी है। नेपाल में भूकंप के बाद मानव तस्करी का खतरा कई गुना बढ़ गया है। इसके साथ ही आतंकी घुसपैठ का खतरा भी काफी बढ़ गया हैअफीम, चरस, ब्राउन शुगर इसके अलावा जानवरों की खाल और मंहगी जड़ी बूटी की तस्करी होती है लेकिन रूपेड़िया पोस्ट पर महिला जवानों की तैनाती के बाद से इन मामलों में कमी आई है।
असिस्टेंट कमांडेंट रवि शंकर कुमार के अनुसार, ‘महिला जवान रात की पेट्रोलिंग के वक्त भी मुस्तैद रहती हैं. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच बेहतर तालमेल के लिए नेपाल की महिला जवानों के साथ साझा पेट्रोलिंग की जाती है. 2008 से महिला जवानों को यहां पर तैनात किया गया है। सुबह 6 बजे से बॉर्डर पोस्ट पर निगरानी और चेकिंग का काम शुरू हो जाता है। सशस्त सीमा बल की पहली महिला महानिदेशक अर्चना रामासुंदरम ने एक टीवी चैनल को कहा कि नेपाल सीमा से मानव, नशीली चीजों और जाली नोटों की तस्करी करने वालों पर अंकुश लगाने की मुहिम को तेज किया जा रहा है। इन महिलाओं के इस जज्बे, बहादुरी और हौसले को पूरा देश सलाम करता है!