Friday, April 11, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]

17 साल की उम्र में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई, अब 75 साल की दादी सूफिज्म में कर रहीं पीएचडी

मुम्बई : सफेद सलवार कुर्ता और मैचिंग के कलर वाला हिजाब पहले वह सोफे पर बैठी हुई हैं। सामने दीवार पर अरबी में कुछ सजावट के रूप में एक अभिलेख है जिस पर अल्लाह के 99 नाम लिखे हुए हैं। उनमें से एक नाम है रहमान। 75 साल की जुबैदा याकूब खंडवानी कहती है कि यह अल्लाह की मेहर है, जो उन्हें बाधाओं का सामना किए बिना ज्ञान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती है।सूफीवाद पर पीएचडी के लिए रिसर्च
यह सकारात्मक उर्जा है जो उन्हें सबसे अलग बनाती है। जिस उम्र में लोग आराम को तरजीह देते हैं या अपने अतीत को कागजों में उतार रहे होते हैं, उस उम्र में इस दादी का जज्बा ऐसा है कि वह सूफीवाद पर डॉक्टरेट के लिए रिसर्च कर रही हैं। जुबैदा कहती है कि मैंने इसे एक दशक पहले खत्म कर लिया होता लेकिन कुछ दिक्कतें पेश आ गईं। उन्होंने बताया कि मेरे गाइड, प्रसिद्ध उर्दू, फ़ारसी और इस्लामी अध्ययन के विद्वान प्रो निज़ामुद्दीन गोरेकर (उन्होंने दक्षिण मुंबई में सेंट जेवियर्स कॉलेज सहित कई संस्थानों में पढ़ाया) का निधन हो गया।
उन्होंने कहा कि उसके बाद मेरे शौहर का भी इंतकाल हो गया। जुबैदा के पति याकूब खंडवानी बिजनसमैन थे। वह पूर्व विधायक और हज कमेटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अमीन खंडवानी के छोटे भाई थे। उन्होंने कहा कि इसके बाद मैं गिर गई और मेरे हाथ में फ्रैक्चर हो गया। जुबैदा के बेटे साहिल खंडवानी कहते हैं कि कोई और होता तो इतना सब होने के बाद हिम्मत हार गया होता लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। सोहेल माहिम दरगाह के मैनेजिंग ट्रस्टी और हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी है। 200 से अधिक वर्षों की विरासत वाला एक परिवार, यह एक ही घर खंडवानी हाउस में रहने वाले खंडवानी की पांचवीं पीढ़ी है। 17 साल की उम्र में छोड़नी पड़ी पढ़ाई
जुबैदा बमुश्किल से 17 साल की थीं जब उनकी मां की मृत्यु हो गई। इसके बाद उनकी शादी हो गई। उन्हें अपनी कॉलेज की पढ़ाई छोड़नी पड़ी।। बाद में उन्होंने पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया। बाद में एलएलबी भी पूरी की। सोहेल याद करते हैं कि एक समय था जब मेरी मां, मेरी बड़ी बहन और मैं बांद्रा में सिंधियों द्वारा संचालित एक ही एजुकेशन कॉम्पलेक्स में पढ़ते थे। उन्होंने कहा कि मुझे तब थोड़ी शर्मिंदगी होती थी कि मैं और मेरी मां अलग-अलग क्लास में जाते थे। सोहेल याद करते हैं कि असली आश्चर्य तब हुआ जब उनके पिता ने अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन करने का फैसला लिया। उस समय उनकी मां ने इस्लामिक अध्ययन में एमए कोर्स में दाखिला लिया था।

(साभार – नवभारत टाइम्स)

 

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

शुभजिताhttps://www.shubhjita.com/
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।
Latest news
Related news