हिंदू विवाह अधिनियम पास करने वाला पाकिस्तान का पहला प्रांत बना सिंध

पाकिस्तान की सिंध विधानसभा ने सोमवार को हिंदू विवाह अधिनियम पारित कर दिया. सिंध अपने देश का पहला प्रांत बन गया है जहां अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय अपनी शादियों का रजिस्ट्रेशन करा सकेगा. एक प्रमुख हिंदू संगठन ने इस ऐतिहासिक विधेयक से एक विवादित नियम हटाने की मांग की है। विधानसभा में इस विधेयक को संसदीय कार्य मंत्री निसार खुहरो ने पेश किया. परित हो जाने के बाद यह अधिनियम पूरे सिंध प्रांत में लागू होगा. पाकिस्तान के इस प्रांत में हिंदुओं की अच्छी खासी आबादी है. खुहरो ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के गठन के बाद से यह पहला मौका है जब कोई ऐसा कानून पारित किया गया है. यह फैसला सिंध में हिंदू शादियों का औपचारिक रूप से रजिस्ट्रेशन करने के लिए मशीनरी मुहैया करने को लेकर किया गया है.’’एक राष्ट्रीय संसदीय समिति ने इसके ड्राफ्ट को मंजूरी दी थी. इससे पाकिस्तान में हिन्दू समुदाय के विवाह और तलाक के रजिस्ट्रेशन का रास्ता साफ हुआ है. यह विधेयक विवाह की न्यूनतम उम्र 18 साल निर्धारित करता है. विधेयक के मुताबिक यह आवश्यक है कि पुरूष और महिला के बीच सहमति से और कम से कम दो गवाहों की मौजूदगी में विवाह का रजिस्ट्रेशन हो। विधेयक के मुताबिक हर विवाह का अधिनियम के मुताबिक पंजीकरण होगा. हिंदू विवाह कानून के नहीं रहने से विवाह का प्रमाणपत्र हासिल करने और राष्ट्रीय पहचान पत्र हासिल करने के साथ ही जायदाद में हिस्सेदारी लेने में काफी मुश्किल आ रही थी.

पाकिस्तान के एक प्रमुख हिंदू संगठन ने अधिनियम से एक विवादित नियम को हटाने की मांग की है. इस नियम के मुताबिक पति-पत्नी में से किसी के धर्म परिवर्तन करने पर शादी को रद्द करने का प्रावधान है. संगठन ने कहा है कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय (हिंदू) की महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा सकता है। पाकिस्तान हिन्दू परिषद नामक संगठन के प्रमुख संरक्षक रमेश वांकवाणी ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू समुदाय इस नियम को लेकर चिंतित है.उन्होंने कहा कि हिंदू विवाह आपत्तिजनक उपबंध 12 (3) का इस्तेमाल हिंदू लड़कियों और महिलाओं के लिए किया जा सकता है. यह कहता है कि पति-पत्नी में किसी के धर्म बदलने से शादी खत्म हो सकती है. सत्तारूढ़ पीएमएल (एन) के सांसद वांकवाणी ने कहा कि हमने खासतौर पर सिंध के ग्रामीण इलाकों में हिंदू महिलाओं और लड़कियों के जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे को सरकार के समक्ष उठाया है। वांकवाणी ने कहा कि यह नियम इसके दुरुपयोग को बढ़ा सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जब हिंदू लड़कियों का अपहरण किया गया और बाद में उनका धर्म बदलवाकर एक मुसलमान व्यक्ति से शादी के प्रमाणपत्र अदालत में पेश कर दिए गए. इस विवाद को खत्म करने के लिए कानून एवं न्याय पर स्थायी समिति की अध्यक्ष नसरीन जलील ने कहा कि उन्होंने इस हफ्ते समिति की एक बैठक बुलाई है, ताकि हिन्दू समुदाय की चिंताओं पर चर्चा की जा सके.

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