कोलकाता : 2021 का नई आशा के साथ अभिनंदन करते हुए सात दिवसीय हिंदी मेला का भारतीय भाषा परिषद में समापन हुआ। हिंदी मेला का यह 26वां वर्ष था। ऑनलाइन पर कार्यक्रम की वजह से इस बार सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन का अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चला है। इसमें श्रीलंका, मारीशस, नीदरलैंड के विद्वान भी जुड़े। दो हजार से अधिक युवाओं तथा विद्यार्थियों ने ऑनलाइन पर विभिन्न सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में भाग लिया।
समापन समारोह में माधव शुक्ल नाट्य सम्मान से पुरस्कृत पटना के रंगकर्मी अनीस शुक्ल ने कहा कि माधव शुक्ल ने कलकत्ता में हिंदी नाटक की शुरुआत की थी। इस पुरस्कार से मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ। हमें नाटक की परंपरा को मिटने नहीं देना है। इस साल का युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान प्राप्त करनेवाले रावेल पुष्प ने कहा कि मैंने खोजी पत्रकारिता में काम करके उपेक्षित घटनाओं को सामने लाने की कोशिश की है। डॉ. राजेश मिश्र और अनिता राय ने अभिनंदन पत्र पढ़ा।
इस अवसर पर प्रसिद्ध कथाकार और भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने ऑनलाइन माध्यम पर शुभकामना संदेश देते हुए कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र ने सांस्कृतिक जागरण का जो आह्वान किया था हिंदी मेला उसका निर्वाह कर रहा है। यह युवाओं और विद्यार्थियों का एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय मंच बन गया है। मिशन के अध्यक्ष डॉ.शंभुनाथ ने कहा कि हम एक जीवन और रचना-विरोधी समय में हैं। हिंदी मेला संकट के दौर में जीवन और रचनात्मकता के पक्ष में है और मानवता का संदेश है। इसने नई पीढ़ी के लिए संभावनाओं का द्वार खोला है।
समापन समारोह में उपस्थित यूको बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अतुल कुमार गोयल ने कहा कि कोरोना संकट के समय साहस से हिंदी मेला का आयोजन करना और इसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देना एक बड़ी घटना है। उन्होंने नव वर्ष की शुभकामनाएँ देते हुए हिंदी के प्रचार-प्रसार में बैंक की भूमिका का उल्लेख किया। महाप्रबंधक श्री नरेश कुमार ने कहा कि हिंदी मेला कोलकाता का एक प्रमुख सांस्कृतिक उत्सव है जिसमें नई पीढ़ी को प्रोत्साहन मिलता है। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संयुक्त महासचिव प्रो.संजय जायसवाल ने कहा कि कोरोना संकट के दौर में हिंदी मेला का आयोजन हमारे संस्कृतिक कर्मियों की दक्षता और हिंदी के प्रति समर्पण के कारण संभव हुआ। समापन समारोह में विद्यार्थियों और युवाओं ने हिंदी कविता पर आधारित भाव नृत्य, काव्य आवृत्ति तथा काव्य संगीत प्रस्तुत किया। श्री रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि इस बार हिंदी मेला के सङ्गल आयोजन ने साबित कर दिया कि यह देश को समर्पित एक अनंत सांस्कृतिक अभियान है।