दिल्ली हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि जिस घर में बड़ी बेटी होगी वही घर की कर्ता-धर्ता होगी। हाईकोर्ट ने कहा है कि मुखिया के ना रहने पर जो घर में सबसे बड़ा होगा वही उस घर का कर्ता होगा अब चाहें वो बेटी ही क्यों ना हो। पिता और तीन चाचाओं की मौत के बाद एक लड़की द्वारा अपने चचेरे भाइयों के खिलाफ दर्ज मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। लेडी कांस्टेबिल पर इस कदर फिदा हुए एसओ साहब कि रात में भी लगाने लगे ड्यूटी फैसला जस्टिस नाजमी वजीरी ने सुनाया। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक कोर्ट ने कहा, यदि पहले पैदा होने पर कोई पुरूष मुखिया के कामकाज संभाल सकता है तो ठीक ऎसा ही औरत भी कर सकती है। हिंदू संयुक्त परिवार की किसी महिला को ऐसा करने से रोकने वाला कोई कानून भी नहीं है। पोर्न साइट्स तक पहुंचीं आम लड़कियों की Facebook Profile Pics! फैसला सुनाते वक्त जस्टिस वजीरी ने कहा कि कानून के मुताबिक सभी को समान अधिकार प्राप्त हैं। फिर न जाने अब तक महिलाओं को ‘कर्ता’ बनने लायक क्यों नहीं समझा गया? जबकि आजकल की महिलाएं हर क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चल रही हैं और आत्मनिर्भता की मिसाल हैं।