मेनोपॉज….. हर महिला के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण पड़ाव और सच है। हर महिला इस दौर से चुप-चाप गुजरती हैं। महिलाएं मेनोपॉज से जुड़ी परेशानियों के बारे में बिना किसी से बात करे उन्हें झेलती हैं, नतीजन कुछ सालों में महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर, हार्ट अटैक और डिप्रेशन जैसी खतरनाक बीमारियां जकड़ सकती हैं। मगर इन सब परेशानियों के बीच महिलाओं के लिए एक काम की खबर यह है कि, हाल ही में हरियाणा में मेनोपॉज क्लिनिक खुला है। पढ़िए आखिर क्या है मेनोपॉज? इस दौरान महिलाओं को क्या होती है दिक्कतें?
क्या है मेनोपॉज? कितने साल रहती है परेशानी?
40 साल की उम्र पार करने के बाद जब महिला के पीरियड्स रुकने लगते हैं, इसे मेनोपॉज कहा जाता है। यह प्रक्रिया तीन स्टेज में होती है। प्री-मेनोपॉज, मेनोपॉज और पोस्टमेनोपॉज। जिसमें करीब 7 से 8 साल तक का समय लग जाता है। कुछ महिलाएं मेनोपॉज में अलग-अलग शारीरिक और मानसिक स्थिति से गुजरती हैं।
प्री-मेनोपॉज : जब महिला में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा कम होने लगती है, इसे प्री-मेनोपॉज कहा जाता है। यह आमतौर पर मेनोपॉज शुरू होने के चार से पांच साल पहले शुरू हो जाता है। इस दौरान महिलाओं को हॉट फ्लैशेस यानी ज्यादा गर्मी लगने लगती है। पीरियड्स रेगुलर नहीं रहते, चिड़चिड़ापन बढ़ जाता है। रात में पसीना आने लगता है, वजाइना में ड्राइनेस होने लगती है और कई महिलाओं में सेक्स पेनफुल हो जाता है।
मेनोपॉज : जब महिला बिना पीरियड्स के एक साल का समय पार कर लेती है, तो उसे मेनोपॉज कहते हैं। इसमें महिला के हार्मोन और वजाइना में भी कई बदलाव आते हैं। हार्मोन में बदलाव के साथ ही भावनात्मक उतार-चढ़ाव होते हैं। महिलाओं का मूड चिड़चिड़ा रहता है। कुछ महिलाएं डिप्रेशन से जूझती हैं।
पोस्ट-मेनोपॉज : मेनोपॉज के बाद भी महिलाओं को एक या दो बार पीरियड्स आ सकते हैं। यह अनुभव हर महिला के साथ अलग होता है क्योंकि इस समय हार्मोन्स में बदलाव की स्थिति बनी रहती है। पोस्ट-मेनोपॉज में महिलाओं का वजन बढ़ने लगता है, बाल झड़ने लगते हैं, सिर दर्द, हड्डियों में जकड़न और हार्ट की समस्या बढ़ जाती है। इसके लिए महिलाओं को समय-समय पर टेस्ट कराते रहने चाहिए।
हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहां सेक्स रेशियो की बात की जाए तो यहां आज भी 1000 पुरुषों के मुकाबले 877 महिलाएं हैं। कहने को तो यह रेशियो कई राज्यों के मुकाबले काफी कम है लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि जब बात महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की आती है तो हरियाणा इस दिशा में कई कदम आगे चल रहा है।
दिसंबर 2021 में हरियाणा सरकार ने राज्य स्तर पर मेनोपॉज क्लीनिक की शुरुआत की है। इस पहल के तहत महिलाओं को सप्ताह में एक दिन उनके प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में ही मेनोपॉज से जुड़ी जानकारी दी जाएगी। काउंसलिंग के साथ ही उनका हेल्थ चेक-अप किया जाएगा ताकि अगर उन्हें पोस्ट-मेनोपॉज से जुड़ी कोई गंभीर बीमारी होती है, तो समय रहते उनका इलाज किया जा सके।
महिलाओं की होगी हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, अस्पताल में होगी फ्री टेस्टिंग और इलाज
डॉ. सरोज बताती हैं कि यह प्रोग्राम दो स्तर पर चलेगा। लेवल 1 में महिलाओं को प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर लेडी मेडिकल ऑफिसर मेनोपॉज के बारे में जागरूक करेंगी। 40 से अधिक उम्र की महिलाओं को मेनोपॉज के लक्षण बताए जाएंगे। इस दौरान उन्हें किस तरह की डाइट अपनानी है यह यह समझाया जाएगा। साथ ही कैल्शियम की टैबलेट्स दी जाएंगी, ताकि उनकी बोन डेनसिटी अच्छी रहे। जिन महिलाओं को ब्रेस्ट, हार्ट या हड्डियों में ज्यादा दर्द होगा। उन्हें टेस्टिंग के लिए लेवल 2 सेंटर यानी जिला अस्पताल रेफर किया जाएगा। यहां महिलाओं के दो टेस्ट किए जाएंगे। मेमोग्राफी के जरिए ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाया जाएगा। दूसरा बोन मिनरल डेनसिटी (बीएमडी) टेस्ट किया जाएगा। जिससे महिलाओं की हड्डियों की मजबूती पता लगेगी। इन टेस्ट में आए रिजल्ट के मुताबिक महिलाओं का इलाज किया जाएगा। जिन महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान हार्मोन से संबंधित समस्या है उन्हें हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी कराई जाएगी। इस तरह समय पर इलाज मिलने से महिलाएं पोस्ट-मेनोपॉज बीमारियों से खुद को बचा सकेंगी।
एक ही क्लीनिक में मिलेंगे सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ
मेनोपॉज क्लीनिक का संचालन कर रहीं गायनेकोलॉजिस्ट डॉ नताशा बताती हैं कि गांव में रहने वाली ज्यादातर महिलाएं इसे सीरियस नहीं लेती हैं क्योंकि उनके घर में इसे गंभीरता से नहीं लेते। लोगों की यह मानसिकता होती है कि अगर महिला की उम्र 40 से अधिक है तो उन्हें स्वास्थ्य सेवा की क्या जरूरत है। इस कारण ज्यादातर महिलाएं मेनोपॉज में होने वाली परेशानी पर किसी से बात नहीं करती और चुप-चाप सहती रहती हैं। अब मेनोपॉज क्लीनिक शुरू होने से महिलाओं को एक ही जगह पर सारे हेल्थ एक्सपर्ट मिलेंगे ताकि वह अपनी सारी परेशानी एक ही जगह बता सके। क्लीनिक में गायनेकोलॉजिस्ट के साथ ही रेडियोलॉजिस्ट, ऑर्थोपेडिक, कार्डियोलॉजिस्ट और साइकोलॉजिस्ट भी मौजूद रहेंगे और महिलाओं की समस्या सुनेंगे।
डॉ नताशा ने बताया कि गांव से आने वाली ज्यादातर महिलाओं को ज्यादा ब्लीडिंग और कई महीनों तक पीरियड्स होने की शिकायत रहती है। प्री-मेनोपॉज में पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, लेकिन जरूरत से ज्यादा समय तक ब्लीडिंग होने से महिलाओं में खून की कमी हो सकती है। वह अनेमिक हो सकती हैं, ऐसे में हम उन्हें दवाइयां देते हैं ताकि ब्लीडिंग को रोका जा सके।
इसके अलावा महिलाएं सबसे ज्यादा पैरों में दर्द और हड्डियों में दर्द की समस्या लेकर आती हैं। उनका यही कहना होता है कि ‘अब पैरों में पहले जैसी जान नहीं रही’। ऐसे में महिलाओं को कैल्शियम की टैबलेट्स दी जाती हैं। कुछ महिलाएं डिप्रेशन में भी चली जाती हैं, उनका यही कहना होता है कि ‘अब हमें जीने का कोई मकसद नहीं दिख रहा, इच्छा नहीं कर रही’। ऐसे में साइकोलॉजिस्ट और थेरेपिस्ट उनकी काउंसलिंग करती हैं।
1 – ब्रेस्ट कैंसर – मेनोपॉज के बाद महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना 30% ज्यादा बढ़ जाती है। नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इनफॉर्मेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जिन महिलाओं को ज्यादा उम्र में मेनोपॉज होता है, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना हर वर्ष 3% तक बढ़ जाती है। इसका मतलब 45 की उम्र में मेनोपॉज से गुजरने वाली महिला के मुकाबले 55 वर्ष की महिला को मेनोपॉज के बाद होने वाली बीमारियां होने की संभावना अधिक है। मेनोपॉज के कारण महिलाओं की ओवरी हार्मोन बनाना बंद कर देती है। एस्ट्रोजन की मात्रा बढ़ने से महिलाओं में फैट टिशूज की मात्रा भी बढ़ जाती है। यह ब्रेस्ट ट्यूमर बढ़ाने का काम करती है।
2 – दिल की बीमारी होना – अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक मेनोपॉज की प्रक्रिया के दौरान हार्ट से जुड़ी बीमारियां बढ़ने और होने की संभावना बढ़ जाती है। ये समस्या उन महिलाओं में सबसे ज्यादा होती है जिन्हें 50 से बाद मेनोपॉज होता है।
3 – हड्डियों का कमजोर होना – अगस्त 2020 में ताइवान में हुई एक शोध में 30 से 70 वर्ष की 7 हजार से अधिक महिलाओं के बीच सर्वे किया गया। इसमें देखा गया कि जो महिलाएं मेनोपॉज से गुजर रहीं है उन्हें सबसे ज्यादा ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या का सामना करना पड़ा। महिलाओं में कैल्शियम की कमी के कारण उनकी हड्डियां पहले से ही काफी कमजोर होती हैं। वहीं मेनोपॉज के दौरान उनकी ये समस्या और भी ज्यादा बढ़ जाती है।
महिलाओं को नहीं मिलती सही जानकारी, रहती हैं परेशान
मेनोपॉज से संबंधित समस्या पर बात करते हुए 28 दिसंबर 2021 को बीएमसी वुमन हेल्थ ने ‘स्टडी ऑन वुमन हेल्थ इन्फॉर्मेशन नीड्स इन मेनोपॉज एज’ नाम से रिपोर्ट जारी हुई थी। जिसमें महिलाओं ने मेनोपॉज पर ज्यादा जागरूकता की मांग की है। सर्वे में 48 से 55 वर्ष की 301 महिलाओं को शामिल किया गया। उनसे मेनोपॉज वुमन हेल्थ से जुड़े सवाल किए गए। इसमें 38% महिलाओं का कहना था कि उन्हें यह नहीं पता कि वह मेनोपॉज के बारे में सही जानकारी कहां से ले सकती हैं। 36% महिलाओं को जानकारी जुटाने के लिए सही सूत्र नहीं पता। इससे यह साफ पता लगता है कि मेनोपॉज के विषय में जागरुकता की कितनी जरूरत है। 40-50 साल की महिलाओं ने यह सवाल उठाया कि आखिर उनके जीवन से जुड़े इनते जरूरी मुद्दे पर सरकार कोई योजना क्यों नहीं बनाती है। महिलाएं चाहती हैं कि मेनोपॉज को ध्यान में रखते हुए विशेष हेल्थ सर्विस शुरू की जाए। जिससे उन्हें मुश्किल समय में मदद मिल सके।
साल 2018 में दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में मेनोपॉज क्लीनिक की शुरुआत की गई थी। जिसमें 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को मेनोपॉज से जुड़ी फिजिकल और साइकोलॉजिकल सलाह दी गई लेकिन यह बड़े पैमाने पर नहीं चल सका। इसके अलावा मुंबई और कई मेट्रो सिटीज में प्राइवेट अस्पतालों में मेनोपॉज एक्सपर्ट के साथ कार्यक्रम चलाए गए।
(साभार – दैनिक भास्कर)