कोलकाता । नए युग में स्त्री भारतीय जागरण का एक मुख्य आधार है। स्त्रियां जहां भी हैं, वे उत्सव हैं और जागरण हैं। यह कहा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारतीय भाषा परिषद द्वारा आयोजित स्त्री कविता उत्सव में अध्यक्ष डा. कुसुम खेमानी ने। इस अवसर पर सुपरिचित कथाकार शर्मिला बोहरा जालान के नए कहानी संग्रह ‘साख’ का लोकार्पण हुआ। इसपर बोलते हुए प्रो. इतु सिंह ने कहा कि शर्मिला बोहरा जालान की कहानियां स्त्री जीवन के साथ कोलकाता के जीवंत परिवेश की अभिव्यक्ति हैं। बिहार से आईं प्रतिभा चौहान के कविता संग्रह ‘क्षितिज हथेली पर’ का भी लोकार्पण संपन्न हुआ और उन्होंने कविता पाठ से स्त्री की दशा, उसके आत्मविश्वास और आदिवासियों के संघर्ष को सामने ला दिया। स्त्री कविता उत्सव में गया की चाहत अन्वी ने मुस्लिम स्त्री की मार्मिक मनोदशा को उभारा तो रांची से आईं सावित्री बड़ाइक ने आदिवासी आत्मपहचान और दर्द को। परिषद के सभागार में भारी उपस्थिति के बीच कोलकाता की वरिष्ठ और नवोदित कवयित्रियों ने स्त्री संवेदना से जुड़ी कविताएं पढ़ी हैं। स्त्री कविता उत्सव में गीता दूबे, रौनक अफरोज, पूनम सोनछात्रा, मनीषा गुप्ता, सविता पोद्दार, कविता कोठारी, कलावती कुमारी, मधु सिंह, सुषमा कुमारी, शुभश्री बैनर्जी ने अपनी कविताओं का पाठ किया।इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।