स्टार्टअप इकोसिस्टम में दुनिया में भारत तीसरे स्थान पर : रिपोर्ट

नयी दिल्ली : देश में तकनीक का समावेश और इस्तेमाल जितनी तेजी से बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से यूनीकॉर्न स्टार्टअप की संख्या में भी इजाफा हो रहा। हुरुन इंडिया ने बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में दावा किया कि 2021 में भारत ने हर महीने तीन स्टार्टअप को यूनीकॉर्न बनाया है। अगस्त तक महज आठ महीने में ही यूनीकॉर्न की संख्या करीब दोगुनी बढ़कर 51 पहुंच गई है। हुरुन के मुताबिक, भारत स्टार्टअप इकोसिस्टम में दुनिया का तीसरा सबसे बेहतर बाजार है। यहां 1 अरब डॉलर से ज्यादा बाजार पूंजीकरण वाले (यूनीकॉर्न) स्टार्टअप की संख्या लगातार बढ़ रही है। नियामकीय दबाव में कुछ स्टार्टअप कंपनियों ने देश छोड़ दिया। बावजूद इसके सरकार के स्टार्टअप इंडिया जैसी महत्वाकांक्षी योजना के बूते इकोसिस्टम और मजबूत हो रहा है।

हुरुन ने भविष्य के यूनीकॉर्न की सूची जारी करते हुए बताया कि देश में 32 स्टार्टअप ऐसे हैं, जिनका पूंजीकरण 50 करोड़ डॉलर को पार कर चुका है। अगले दो साल में ये स्टार्टअप भी यूनीकॉर्न की श्रेणी में आ जाएंगे। 54 स्टार्टअप ऐसे हैं, जो 20 करोड़ डॉलर की बाजार पूंजी के साथ कारोबार कर रहे और अगले चार साल में इनके यूनिकॉर्न बनने की पूरी गुंजाइश है।

2025 तक 150 से ज्यादा यूनीकॉर्न होेंगे
हुरुन इंडिया के प्रबंध निदेशक अनस रहमान जुनैद ने बताया कि भारत तकनीक का इस्तेमाल जिस तेजी से बढ़ रहा है। 2025 तक यहां यूनीकॉर्न की संख्या बढ़कर 150 से ऊपर चली जाएगी। भविष्य के यूनिकॉर्न का बाजार मूल्य अभी करीब 36 अरब डॉलर है। हम अभी से दुनिया में यूनीकॉर्न स्टार्टअप के मामले में तीसरे बड़े देश हैं। हमने आगे अमेरिका (396 यूनीकॉर्न) और चीन (277 यूनीकॉर्न) ही हैं। ब्रिटेन में अभी 32 और जर्मनी में 18 स्टार्टअप ही यूनीकॉर्न बन सके हैं।

एनसीआर और बंगलूरू सबसे बड़े हब
बड़े स्टार्टअप बनाने में बंगलूरू सबसे आगे है, जहां के 31 स्टार्टअप को हुरुन की सूची में जगह मिली है। दिल्ली-एनसीआर 18 स्टार्टअप के साथ दूसरे नंबर पर और मुंबई (13) तीसरे स्थान पर है। हालांकि, आईआईटी दिल्ली से निकले 17 तकनीकी प्रशिक्षुओं ने स्टार्टअप की नींव रखी। इस मामले में आईआईटी बॉम्बे ने 15, कानपुर ने 13 उद्यमी पैदा किए। आईआईएम अहमदाबाद से निकले 13 स्नातक प्रशिक्षुओं ने भी बड़े स्टार्टअप की नींव रखी। देश में इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या 2025 तक 90 करोड़ हो जाएगी, जो अभी 60 करोड़ है।

 

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