नयी दिल्ली । यह तस्वीर खास है। सिर्फ इसलिए नहीं कि इसमें दो जानी-मानी शख्सीयतें हैं। अलबत्ता इसलिए भी कि यही हमारे संस्कार हैं। हमारी संस्कृति है। यह उस दौर की तस्वीर है जब साहित्य के सम्मान में सत्ता नतमस्तक होती थी। जब किसी और चीज के बयाज व्यक्तित्व और मूल्यों को सर्वोपरि रखा जाता था। अब एक सवाल आपके मन में जरूर उठ रहा होगा कि आखिर ये दोनों कौन हैं? यह कब की तस्वीर है? इस तस्वीर में झुककर आशीर्वाद लेने वाले हैं मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र। काला चश्मा पहने जिन बुजुर्ग के द्वारका प्रसाद मिश्र पैर छू रहे हैं वह कोई और नहीं बल्कि जाने-माने कवि और लेखक माखनलाल चतुर्वेदी हैं। यह तस्वीर 1965 की बताई जाती है।
कवि, लेखक और स्वतंत्रता सेनानी थे माखनलाल चतुर्वेदी
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के बाबई गांव में 4 अप्रैल 1889 को हुआ था। उनके पिता का नाम नंदलाल चतुर्वेदी था। 16 साल की उम्र में ही माखनलाल स्कूलटीचर बन गए थे। बाद में प्रभा, प्रताप और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठित पत्रों का उन्होंने संपादन किया। इनके जरिये उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार धावा बोला। वह कवि, लेखक, संपादक के साथ सच्चे क्रांतिकारी भी थे। हिंदी साहित्य के छायावाद में उन्होंने बड़ा योगदान दिया। 1955 में हिमतरंगिनी के लिए उन्हें पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। 1963 में उन्हें पद्म भूषण से नवाजा गया। 30 जनवरी 1968 में उनका निधन हो गया था।
द्वारका प्रसाद मिश्र मध्यप्रदेश के चौथे सीएम थे। राजनीतिज्ञ होने के साथ ही वह लेखक, स्वतंत्रता सेनानी और पत्रकार भी थे। 30 सितंबर 1963 से 29 जुलाई 1967 तक उन्होंने एमपी का सीएम पद संभाला। वह कांग्रेस के सदस्य थे। द्वारका प्रसाद मिश्र का जन्म 1901 में उन्नाव के पड़री गांव में हुआ था। चंद्रभानु गुप्ता के साथ उन्होंने 1967 के चुनाव के बाद इंदिरा गांधी और मोरारजी देसाई के बीच पावर शेयरिंग फॉर्मूला में बड़ी भूमिका निभाई थी। इसकी वजह से देसाई को उपप्रधानमंत्री का पद मिला था। लेकिन, यह समझौता 1969 में टूट गया था। इसके बाद कांग्रेस विभाजित हुई थी। 87 साल की उम्र में 1988 में द्वारका प्रसाद मिश्रा का निधन हो गया था।