सोच रहा मेरा मन

– रेखा शर्मा
ये सोच रहा था मेरा था मेरा मन
फिर मिल जाये
मुझको मेरा बचपन।
तब मेरा दिल भी कितना चंचल था।
‌हरदम होती थी जिस‌ दिल में हलचल
छिप छिप कर बातों पर हठ करना।
पल भर में रोना फिर हंस देना।
चांद सितारों के जो सपने।
वो अब लगते हैं हमको अपने
दिन भर खेलों में रहे मगन
जिन्दगी में जीने की सदा लगन।
बनता मन में सदा यही चित्र।
सबसे जुड़ जाये नाता पवित्र नाता। । ‌
फिर से मिल जाये वो दिन
ये सोच रहा है मेरा मन
फिर मिल जाए मुझको मेरा बचपन।
ये सोच रहा था मेरा मन

शुभजिता

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