शुभजिता 13 फरवरी को अपनी सृजन यात्रा का एक और पड़ाव पार कर रही है। 2026 में पूरा एक दशक होने जा रहा है। 2025 में आपकी यह वेब पत्रिका 9 वर्ष पूरे कर चुकी है। जब 2016 में वसंत पंचमी के दिन आज की शुभजिता ने अपराजिता बन चलना आरम्भ किया था, तब कहां पता था कि यहां तक आ सकेंगे। इस पर एक जिद थी कि लीक से हटकर चलना है, पत्रकारिता की सकारात्मकता को सामने रखना है, मुद्दे रखने हैं, सनसनी से बचना है। यह एक विनम्र…बहुत विनम्र शुरुआत थी और हमें कतई उम्मीद नहीं थी कि इसे कोई गम्भीरता से लेगा..यह भी उम्मीद नहीं थी कि लोग जुड़ेंगे..लिखेंगे..किसी अन्य मीडिया संस्थान की तरह हमें कार्यक्रमों में बुलाया जाएगा। हमारे पास था भी क्या उम्मीदों के लिए तो खोने के लिए भी कहां कुछ था। आज मुझे खुद मीडिया में 21 साल हो रहे हैं । पत्रकारिता की दुनिया से बहुत कुछ मिला है..पहचान भी और प्रेम भी..प्रेम इतना मिला कि कड़वाहटें हावी नहीं हो पायीं। इतने संघर्ष और इतनी बाधाएं देखीं कि लगा कि ऐसी जगह हो जहां काम करने का मन करे । अपनी शक्ति भर युवाओं की अभिव्यक्ति को मंच दे सकें हम..प्रतिभाओं को सामने ला सकें। कोरोना काल हमने बहुत कुछ ऐसा किया जो हम करना चाहते थे..संसाधनहीन थे..सार्मथ्यहीन नहीं थे। हमें नहीं पता कि हम कहां तक क्या कर सके हैं क्योंकि यह निर्णय लेना हमारा काम नहीं है..यह फैसला आप करेंगे। हमने शुभजिता का पीडीएफ संस्करण भी निकालना आरम्भ किया। दो दर्जन अंक निकाले भी मगर व्यस्तता व तकनीकी कारणों से इसमें विध्न पड़ते रहे। दरअसल, आर्थिक जरूरतें और आर्थिक दिक्कतें अपनी जगह है और जीवन संचालन एक महती कार्य है इसलिए दोनों कार्य साथ ही संचालित करने पड़ते हैं। आज 10 लाख से अधिक अतिथि इस वेबपत्रिका पर आ चुके हैं। हम दो शुभजिता सृजन प्रहरी तथा तीन शुभ सृजन सारथी सम्मान आयोजित कर चुके हैं। यू ट्यूब पर भी 1 हजार से अधिक सदस्य शुभजिता के चैनल पर हैं। प्रयास जारी है। हो सकता है कि खबरें लाने में थोड़ा विलम्ब हो मगर खबरें आती रहेंगी, यह तय है। इस सृजन यात्रा पर पथ एकाकी भी हो तो भी हम चलते ही रहेंगे क्योंकि यही हमारा कर्म है। फल हमारे हाथ में नहीं है पर जो कर्म है..वह हम करते ही रहेंगे और हमें विश्वास है कि आपका सहयोग हमें मिलता ही रहेगा…एक विनम्र धन्यवाद के अतिरिक्त हम और क्या दें..जब रहीम के शब्दों में –
देनहार कोई और है, भेजत है दिन रैन
लोग भरम हम पर करें, ताते नीचे नैन
शुभजिता का सारा लोहा आप ही हैं, अपनी तो केवल धार ही है. नयी यात्रा पर शुभजिता का नया अवतार…
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अशेष आभार
सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया
सम्पादक, शुभजिता