सिनी की अरबन यूनिट ने आयोजित की बाल संसद, जमकर बोले बाल प्रतिनिधि

संविधान कहता है कि बच्चों को भी अपनी बात कहने का हक है और ये बच्चों का अधिकार है कि उनकी बात सुनी जाए। यह अलग बात है कि आए दिन उनके इस अधिकार का हनन होता है क्योंकि सच तो यह है कि बच्चे सोचते हैं और उनकी अपनी विचारधारा होती है, यह मानने के लिए तो हम तैयार ही नहीं होते। संविधान की धारा 12 के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि बच्चों की बात सुनी जाए। साफ है कि बच्चे मतदाता नहीं है इसलिए बड़ी राजननीतिक पार्टियों के एजेंडे में उनका विकास नहीं है और तमाम चुनावों में उनके अधिकारों और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए मुश्किल से कुछ शब्द खर्च किए जाते है।cini child parliament 2

ऐसी स्थिति में उनके लिए बाल संसद का होना हैरत की बात हो सकती है मगर हाल ही में महानगर में सिनी की अरबन यूनिट ने यह नेक काम किया और महानगर के 10 वार्डों के बच्चों को लेकर बाल संसद आयोजित की जिसमें 7 चुने गए बाल प्रतिनिधियों ने इन वार्डों के बच्चों की समस्याएं रखीं। इस मौके पर बच्चों की शिकायत सुनने के लिए नेशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के चेयरमैन अशोकेंदु सेनगुप्त भी उपस्थित थे। बच्चों ने अपने स्कूलों की लचर हालत से लेकर नशीले पदार्थों को लेकर पुलिस की उदासीनता से लेकर कई सामाजिक समस्याओं पर रोशनी डाली। सिनी इन समस्याओं को जनप्रतिनिधियों तक पहुँचाएगी।

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