कोलकाता : सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से साहित्य संवाद श्रृंखला के अंतर्गत काव्यपाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से कवियों ने हिस्सा लिया। चर्चित कवि विजयबहादुर सिंह ने कहा कि यह आयोजन नई प्रतिभाओं का मंच है। उन्होंने’ अर्द्धसत्य का संगीत’ कविता के जरिए सत्ता के त्रिशूल की बर्बरता का जिक्र किया। वे अपनी कविताओं में आदमियत और प्रतिरोध की बातें कहते हैं। मुम्बई से डॉ. विनोद प्रकाश गुप्ता ने ‘हुआ जो इश्क हमको वो यकीनन दफअतन होगा, तुम्हारे देश में कुछ तो मुहब्बत का चलन होगा’ का पाठ कर समां बांध दिया। राज्यवर्धन की कविताओं में धरती और लोकतंत्र को बचाने की बेचैनी दिखी। निर्मला तोदी ने अपनी कविताओं में जीवन के कई रूपों का कोलाज प्रस्तुत किया। शहंशाह आलम (पटना) ने ‘फफूंद’ और ‘भाषा’ कविता के माध्यम से तत्कालीन व्यवस्था पर प्रहार किया। राजकिशोर राजन (पटना) ने प्रेमचंद के गोदान की आयरनी पर अच्छी कविता का पाठ किया। शशि कुमार शर्मा (वर्द्धमान विश्वविद्यालय) ने पर्यावरण और स्त्री की अवस्था पर केंद्रित कविताओं का पाठ किया। कलावती कुमारी (आर. बी. सी. सांध्य कॉलेज) ने प्रेम, लोकतंत्र और स्त्री विमर्श की कविताओं को प्रस्तुत किया। नागेंद्र पंडित (आई. वो. सी. एल.) ने एक पिता के मन के आकाश को ऊंचाई दिया। अक्षत डिमरी (आईआईटी खड़गपुर) ने ‘कोयल पर लगे बंधन, गीत कौवे गा रहे हैं’ की गीतात्मक प्रस्तुति दी। सूर्यदेव राय ने देश की वर्तमान स्थिति और प्रेम पर प्रभावी कविताएं सुनाई। पार्वती पंडित (काजी नजरुल विश्वविद्यालय) ने धर्म और राजनीति संबंधी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि यदि हमारा कविता से लगाव है तो इसका अर्थ है कि हमारा लगाव जीवन से है। कविता हमें अहिंसक बनाती है। स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि साहित्य संवाद का यह आयोजन सृजनात्मकता की पहल है। इस अवसर पर रामनिवास द्विवेदी, उदयभानु दुबे, अल्पना नायक, श्रीकांत द्विवेदी, जयराम पासवान, आदित्य गिरि,रामप्रवेश रजक,ज्योतिमय बाग सहित भारी संख्या में साहित्य और संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन राहुल गौड़ किया। तकनीकी सहयोग मधु सिंह,उत्तम ठाकुर और रूपेश यादव ने दिया।