कोलकाता । कविता,गीत ,व्यंग्य, संस्मरण,आलेख,गीत, गज़ल के साथ साहित्यिकी संस्था की सदस्याओं ने आलोक पर्व दीपावली सम्मेलन मनाया । इस अवसर पर सभी सदस्याओं ने दीपावली पर अपने अपने भावों की एक से बढ़कर एक रचनाओं की प्रस्तुति दी जिसने सभी को बांधा रखा। कार्यक्रम के आरंभ में वरिष्ठ लेखिका डॉ आशा जायसवाल ने दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं देते अपने वक्तव्य में कहा कि प्रकाश ज्ञान का आलोक है, राम की रावण जैसी आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करना और फिर दीप उत्सव मनाना मंगल का ही प्रतीक है, वस्तुतः यह त्योहार आसुरी शक्तियों का ही नाश है। संस्था की सचिव डॉ मंजू रानी गुप्ता ने स्वागत भाषण देते हुए सभी सदस्याओं को शुभकामनाएँ दी ।दीपावली के रंगारंग कार्यक्रम में भागीदारी के लिए जिन सदस्याओं ने भाग लिया उनमें कुसुम जैन (कविता), विद्या भंडारी (गीत), सुधा भार्गव (संस्मरण), डॉ मंजुरानी गुप्ता(स्वरचित रचना), डॉ सुषमा हंस (कविता), दुर्गा व्यास (कविता), डॉ गीता दूबे(कविता), नुपुर अशोक (व्यंग्य), डॉ वसुंधरा मिश्र (कविता), मंजु गुटगुटिया (गीत), उषा श्राॅफ(कविता), संजना तिवारी (वक्तव्य), मीना चतुर्वेदी (कविता), संगीता चौधरी (छंदबद्ध रचना), सरिता बैंगानी(गज़ल), बबिता माँधना(कविता), वाणी मुरारका (आलेख), नीता उपाध्याय (कविता), रंजना पाठक (भजन), उर्मिला प्रसाद (गीत), सविता पोद्दार (कविता), चंदा सिंह (कविता), रेणु गौरिसरिया (संस्मरण), रंजना शर्मा (पंडावनी) प्रमुख रहीं। वर्चुअल कार्यक्रम का लाभ यह रहा कि कैलिफोर्निया से वरिष्ठ बाल कथाकार सुधा भार्गव, रांची से व्यंग्यकार नूपुर अशोक और मीना चतुर्वेदी दिल्ली से जुड़ीं और दीपोत्सव की इस दीपमाला में अपनी महत्वपूर्ण रचनाओं की प्रस्तुति दी। इस कार्यक्रम में साहित्यिकी संस्था की निर्देशक कुसुम जैन ने धन्यवाद ज्ञापन किया। रेवा जाजोदिया की गौरवपूर्ण उपस्थिति रही। वाणीश्री बाजोरिया ने भी अपनी स्वरचित कविता सुनाते हुए इस कार्यक्रम का संयोजन और संचालन किया।