कोलकाता । ‘साहित्यिकी’ परिवार की ओर से ‘मन्नू जी को याद करते हुए’ जनसंसार सभाकक्ष में ‘ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ मंजु रानी गुप्ता के स्वागत- अभिनंदन से हुआ।
लिटिल थेस्पियन की निदेशक व अभिनेत्री उमा झुनझुनवाल ने मन्नू भंडारी की कथा वाचन करते हुए कहा कि ‘पत्नी और प्रेमिका के बीच संतुलन बना कर चलना तलवार की धार पर चलने के समान है।’ ऋतु डागा ने स्पष्ट किया कि मन्नू जी का कथासाहित्य जनसमाज से जुड़ा हुआ है । ‘आपका बंटी’ उस समय लिखा गया जब समाज में विवाह विच्छेद कम होते थे। मन्नू जी ने स्त्री-पुरुष के त्रिकोण द्वारा जीवन की ज्वलंत समस्याओं को दिखाया है । मन्नू जी का लेखन हिन्दी सिनेमा से भी जुड़ा। सिनेमा से जुड़कर साहित्य अधिक विस्तार पा सकेगा।
ताज़ा टी. वी. के निदेशक विश्वम्भर नेवर ने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि मन्नू जी एक शिक्षिका थीं और शिक्षक अपने परिवेश को गहराई से ऑब्जर्व करता है। पढ़े-लिखे समाज की विडंबनाओं व संवेदनाओं को मन्नू जी ने समझा और उसे अभिव्यक्ति दी। नेवर जी ने कहा ‘उनकी धारावाहिक कथाओं को पढ़ कर ही मैंने लिखना सीखा। सुधा अरोड़ा ने कहा कि मन्नू जी उनकी फ्रेंड, फिलासफर और गाईड थीं । उनके लेखन व भाषा में एक लय है।उनकी भाषा सीधी और सरल है। उन्होंने शिक्षण और लेखन दोनों काम एकसाथ किया । वरिष्ठ सदस्या रेणु गौरीसरिया ने कहा कि मन्नू जी प्रेम और श्रद्धा की मूर्ति थीं ,विद्यार्थियों को पढ़ने की प्रेरणा देती थीं । मन्नू जी की सुपुत्री, ‘हंस’ की प्रबंध निदेशक रचना यादव ने मन्नू जी के दैनिक जीवन के विविध आयामों पर चर्चा करते हुए कहा कि माँ उनकी प्रेरणा थीं , उन्होंने उन्हें आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी और कहा कि समाज को कुछ दो। माँ उनको अकेलेपन एहसास नहीं होने देती थीं । घर में बराबर साहित्यिक गोष्ठियाँ होती थीं । विद्या भंडारी ने अध्यक्षीय भाषण में सभी के वक्तव्य की सराहना करते हुए, धन्यवाद ज्ञापन किया ।
कार्यक्रम का सफल और जीवंत संचालन आकाशवाणी एवं एफ एम रेनबो की उद्घघोषिका एवं जानी मानी कवयित्री सविता पोद्दार ने किया।साहित्यिकी की अन्य सदस्याएं वसुंधरा मिश्र, सुषमा हंस के साथ महानगर के कवि विशन सिखवाल, कवयित्री नीतू सिंह भदौरिया, मीतू कनोड़िया, नीता अनामिका, श्रद्धा टिबरीबाल व अन्य साहित्यनुरागी अच्छी खासी संख्या में उपस्थित थे ।