कोलकाता । भारतीय भाषा परिषद के पुस्तकालय में साहित्यिकी संस्था द्वारा हिंदी शब्द सागर के महान इतिहासकार डॉ श्यामसुंदर दास पर चर्चा की। साहित्यिकी संस्था द्वारा आयोजित इस मासिक गोष्ठी में अतिथि वक्ता विद्वान डॉ ऋषिकेश राय रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता की स्कॉटिश चर्च कॉलेज की ऐसोसिएट प्रो साहित्यकार डॉ गीता दूबे ने किया। सदस्य वक्ता मीतू कानोड़िया और संचालन किया चंदा सिंह ने। आलोचक एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ श्यामसुंदर दास पर डॉ ऋषिकेश राय का विद्वत्तापूर्ण प्रभावशाली वक्तव्य ज्ञानवर्धक तो था ही पुस्तकीय सूचनाओं से अलग मौलिक एवं विचारणीय रहा । डॉ ऋषिकेश राय ने कहा कि श्यामसुन्दर दास (१४ जुलाई 1875 – 1945 ई.) हिंदी के अनन्य साधक, विद्वान्, आलोचक और शिक्षाविद् थे। हिंदी साहित्य और बौद्धिकता के पथ-प्रदर्शकों में उनका नाम अविस्मरणीय है। हिंदी-क्षेत्र के साहित्यिक-सांस्कृतिक नवजागरण में उनका योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उन्होंने और उनके साथियों ने मिल कर सन् 1893 में काशी नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना की थी ।साथ ही ही शब्द कोष शबदसागर की रचना की। हिन्दी के महान सेवक बाबू श्यामसुन्दर दास विश्वविद्यालयों में हिंदी की पढ़ाई के लिए यदि बाबू साहब ने पुस्तकें तैयार न की होतीं तो शायद हिंदी का अध्ययन-अध्यापन आज सबके लिए इस तरह सुलभ न होता। उनके द्वारा की गयी हिंदी साहित्य की पचास वर्षों तक निरंतर सेवा के कारण कोश, इतिहास, भाषा-विज्ञान, साहित्यालोचन, सम्पादित ग्रंथ, पाठ्य-सामग्री निर्माण आदि से हिंदी-जगत समृद्ध हुआ। उन्हीं के अविस्मरणीय कामों ने हिंदी को उच्चस्तर पर प्रतिष्ठित करते हुए विश्वविद्यालयों में गौरवपूर्वक स्थापित किया।
डॉ गीता ने अध्यक्षीय वक्तव्य में श्यामसुंदर दास की पुस्तक साहित्यलोचन पर चर्चा की जो उनके ज्ञान और अध्ययन का परिचायक था।डॉ गीता ने कहा कि आज फिर से हमें विद्यार्थियों को हिंदी के महान इतिहासकार डॉ श्यामसुंदर दास के विषय में जानकारी देने की आवश्यकता है।
छंदोबद्ध कविता लेखन में निपुण कवयित्री मीतू कानोड़िया ने बाबू श्यामसुन्दर दास जी के बहुमुखी व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए हिन्दी भाषा, आलोचना, इतिहास, प्रबंध, जीवनी निर्माण, कोष विज्ञान के विकास में उनका योगदान अतुलनीय है।वें आजीवन हिन्दी भाषा और साहित्य के आधारभूत विकास के लिए पूरी निष्ठा और समर्पण से लगे रहे।मीतू कानोड़िया ने अपने सारगर्भित आलेख में श्यामसुंदर दास के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।चंदा सिंह का संचालन बहुत सुंदर रहा।डॉ वसुंधरा मिश्र ने बताया कि इस कार्यक्रम में धन्यवाद संस्था की अध्यक्ष विद्या भंडारी ने दिया।