कोलकाता: सुप्रसिद्ध साहित्यिकी संस्था द्वारा हाल ही में भारतीय भाषा परिषद् के सभाकक्ष में एक परिचर्चा का आयोजन किया गया| प्रथम सत्र में प्रमुख अतिथि वक्ता माननीय विश्वम्भर नेवर ने कहा कि साहित्यिकी की संस्थापिका डॉ. सुकीर्ति गुप्ता जुझारू और धुन की पक्की थी इसलिए जब हम चन्द्रमा पर पहुँच रहे है तब जड़ से जुड़े रहने की तमन्ना के कारण हस्तलिखित पत्रिका का प्रकाशन संभव हो पाया| उन्होंने कोलकाता को साहित्यिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र बताया|
सुश्री विद्या भंडारी ने कार्यक्रम का कुशल सञ्चालन किया, मंजू रानी गुप्ता ने साहित्यिकी को अनूठी और डॉक्टर सुकीर्ति के प्रयत्नों द्वारा प्रेरित पत्रिका बताया जो महिलाओं के ह्रदय के मंथन को प्रकाशित करती हैं|
पत्रिका के बारे में सुषमा हंस ने समय के संग रचनाओं में निखार आने की बात कही| उमा झुनझुनवाला ने हस्तलिखित रचना को स्त्री की मानसिक दशा को उजागर करने का माध्यम बताया|
कार्यक्रम में उपस्थित वाणीश्री बाजोरिया,प्रमिला धूपिया, गीता दूबे,वसुंधरा मिश्र ,बबीता माँधणा, पूनम पाठक,उषा श्रॉफ, रेणु गौरीसरिया ,सुषमा हंस, मीना चतुर्वेदी, पुष्पा लोढ़ा आदि सदस्यों के कविता पाठ ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए| अध्यक्ष रेणु गौरीसरिया ने बच्चों के लिए रचनाओं के अभाव का उल्लेख किया और अंत में सरोजिनी शाह ने सभी का आभार व्यक्त किया |