सारी दुनिया को अपने हुनर से हैरत में डाल रही है नन्हीं सोयेता

बबीता माली

हमेशा ही बच्चों से ये कहा जाता है कि तुम ये न करों , तुम वो न करों।  तुम बच्चे हो , तुमसे ये नहीं हो पायेगा।  मगर, यहाँ हम आपको एक ऐसी बच्ची के बारे में बताने जा रहे हैं , जिसने ये साबित कर दिया है कि बच्चों के लिए भी कोई चीज़ नामुमकिन नहीं हैं।  बच्चे चाहे तो वो चीज़ भी कर सकते हैं जो एक बड़ा भी नहीं कर सकता हैं। बंगाल की एक ऐसी ही बच्ची से आपको रूबरू करवाने जा रही हूँ जिसने न सिर्फ देश में बल्कि विश्व में अपना डंका बजा दिया हैं। पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले के चन्द्रकोणा की रहने वाली 5 साल 8 महीने की सोयेता दत्ता (Soyeta  Datta) ने वो कमाल किया है जिससे उसके परिवार के साथ ही बंगाल का भी नाम रोशन हुआ है।

सोयेता दत्ता स्थानीय स्कूल जाना इंटरनेशनल स्कूल में सीनियर केजी कक्षा क्लास में पढ़ती है। सोयेता दत्ता ने पक्षियों के तस्वीरों को देखकर मात्र 2  मिनट 34 सेकेंड में 111 पक्षियों के नाम बोलकर इंटरनेशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स और इंडियन बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया हैं। इस उम्र में जहाँ बच्चे ठीक से अपना नाम और अभिभावकों के नाम भी नहीं बता पाते हैं उस छोटी सी उम्र में सोयेता ने 111 पक्षियों का नाम बताकर सबको चौंका दिया है। इंटरनेशल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने इसे ‘यंगेस्ट टू आईडेन्टीफाई मैक्सीमम बर्ड स्पाइसेज’ औऱ इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने उसे ‘मैक्सीमम नम्बर ऑफ बर्ड आईडेन्टीफाइड बाई किड्स’ का टाइटल दिया है। बता दें कि आज तक इतने सारे पक्षियों का नाम किसी बच्चे ने नहीं बताया था।  इससे पहले महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले विवान दत्त ने 66 पक्षियों का नाम बोलकर इस रिकॉर्ड को अपने नाम किया था। विवान के रिकॉर्ड को सोयेता ने 2021 के जून महीने में तोड़ दिया। उस छोटी सी बच्ची ने बातचीत में बताया , ये रिकॉर्ड हासिल कर वो बहुत खुश है। उसे काफी अच्छा लग रहा है। उससे जब पूछा गया उसके माँ और पापा को उसका रिकॉर्ड जितना कैसा लगा, तो उसने कहा , उसके माँ और पिता भी बेहद खुश है। उसने बताया उसे नाचना और ड्राइंग करना भी बहुत अच्छा लगता है।

हारमोनियम बजाती सोयता

इसके अलावा हारमोनियम पर वो खुद से गाना भी गाया करती है।  कविता आवृत्ति भी वो बहुत अच्छे से करती है। वहीं , सोयेता को इस मुकाम पर पहुंचाने में उसके माता – पिता की भी भूमिका कुछ कम नहीं है। सोयेता बचपन से ही बहुत जिज्ञासु है? सोयेता की इस कामयाबी पर उसके पिता अभिजीत दत्ता और माँ सुदेशना दत्ता काफी खुश हैं। सोयेता के पिता एक स्कूल में मैथमेटिक्स टीचर है। उन्होंने बताया , ‘सोयेता बचपन से ही जिज्ञासु स्वभाव की है। दो साल की उम्र में ही वो एकदम अच्छे से बात करने लगी थी।  उसे दूसरों की नक़ल करना अच्छा लगता था , दरअसल , उसके सामने कोई कुछ भी करता या कहता वो तुरंत उसे सीख लेती है। उसकी स्मरणशक्ति बहुत तेज है। अगर उसने कोई बात 6 महीने पहले भी सुनी हुई होती है तो वो बातें उसे आज भी याद रहती है।  वो कोई भी चीज़ देखती है तो उसके बारे में जरूर पूछती हैं।  हर चीज़ को लेकर उसके मन में हज़ारों प्रश्न होते हैं। जिन चीज़ों के बारे में हम उतना सोचते ही नहीं हैं वो उन चीज़ों को लेकर भी प्रश्न कर बैठती है और उसके बारे में जानना चाहती है।

‘कुछ दिनों पहले का एक वाकया बताना चाहता हूँ , सोयेता अपनी माँ से पूछ रही थी कि हमारे पास दो आँखें है और वो दोनों छोटी है लेकिन फिर भी हमें सभी चीज़ बड़ी – बड़ी दिखाई देती हैं ? ऐसा क्यों ? वहीं , उसके सिर्फ प्रश्न ही नहीं होते बल्कि वो लोगों को परखना भी जानती है।  जब वो साढ़े 3  साल की थी तब एक बार उसकी दादी बाहर आँगन में थी और सोयेता घर के भीतर। बाहर बुलाने के लिए उसकी दादी ने उससे कहा , सोयेता बाहर आओ , देखो बन्दर आया है।  लेकिन वो बाहर नहीं आयी।  इसके बाद ही उसके बुआ के बेटे यानी मेरे भांजे ने सोयेता को बुलाने के लिए जब ये कहा , सोयेता बाहर आओ देखो हाथी आया है।  ये सुनकर सोयेता ने उनसे जो कहा शायद इस उम्र में कोई नहीं कहता होगा।  सोयेता ने कहा , पहले आप दोनों ये तय कर लो की कौन आया हैं ? तब जाकर में बाहर आऊँगी।’

सोयता को मिले पदक

डेढ़ महीने में सीखे 111 पक्षियों के नाम 

सोयेता को किसी भी चीज़ को सीखने में ज्यादा समय नहीं लगता है।  वो तुरंत ही सब कुछ सीख लेती है।  यह कहते हुए सोयेता के पिता अभिजीत दत्ता ने बताया , सोयेता खुद से मोबाइल पर वीडियो भी बनाने लगी है।  उसे वीडियो रिकॉर्ड करना ही नहीं बल्कि पॉज कर वीडियो फिर से रिकॉर्ड करना भी आता है। वहीं उन्होंने बताया , पक्षियों के नाम याद रखने के पीछे उसका जिज्ञासु मन ही है।  जब वो छत पर जाती थी तो पक्षियों को देखकर उनके नाम जानने की कोशिश किया करती थी।  कुछ साल पहले हमने पक्षियों को पाला था लेकिन बाद में लगा कि पक्षियों का असली घर खुला आसमान होता है इसलिए सारे पक्षियों को उड़ा दिए और अब से किसी भी पक्षी को भी नहीं पालते हैं। हालाँकि , सोयेता ने घर पर पक्षियों को देखा था जिससे उसका पक्षियों के प्रति प्रेम भी बढ़ गया था।  इससे उसे पक्षियों को पहचानने की ललक और तेज हो गई।  अभिजीत दत्ता ने बताया , सोयेता को 111 पक्षियों के नाम सिखाने में डेढ़ महीने का समय लगा है। उसे बता – बताकर पक्षियों के नाम याद करवाए गए। हमने विवेकानंद के मेमोरी पावर के तहत ये सब किया। सुनने से किसी भी चीज़ को याद करने में सुविधा होती है।  सोयेता अपने सभी 5 इन्द्रिय को संतुलित कर याद करने में माहिर है। वो किसी भी चीज़ को तुरंत ही अपनी मेमोरी में स्टोर कर लेती है।

किसी भी बच्चे की सफलता के लिए अच्छी परवरिश है जरुरी 

सोयेता के पिता कहते हैं , सोयेता को हमने ज्यादा से ज्यादा समय दिया है।  सोयेता को हर चीज़ खुद से करने की भी आदत है।  अगर हमने उसे कुछ सिखाया और वो गलत कर देती है तो उसे वो सुधारती भी खुद ही है।  वहीं हमने कभी भी सोयेता को किसी भी चीज़ को करने से नहीं रोका है। बचपन से ही वो एडवेंचर पसंद करती आयी है। इसके अलावा हारने से या परीक्षा देने से कभी भी नहीं डरने की सीख हमने दी है।  अभिजीत दत्ता ने ये भी बताया , एक बच्चा माँ के गर्भ से ही सीखता है।  हमारे मामले में भी ऐसा ही है , जब सोयेता अपने माँ के गर्भ में थी तब हम घर पर पॉजिटिव वातावरण रखते थे। सोयेता की माँ और मैं दोनों ही हमेशा सकारात्मक विचार रखते थे जिसका फल हमें मिला।  मेरा अन्य पेरेंट्स को यही संदेश है कि वो अपने बच्चों पर दबाओ न डालें।  अपने बच्चों पर भरोसा करें और उन्हें हर पॉजिटिव चीज़ करने के लिए प्रेरित करें। सोयेता भविष्य में आगे बढे इसके लिए उसके अभिभावक लगातार प्रयासरत है।  सोयेता के पिता अभिजीत दत्ता का कहना है , हम सोयेता का नाम भविष्य में गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में देखना चाहते हैं। सोयेता को सामान्य ज्ञान यानी जनरल नॉलेज का भी अच्छा ज्ञान है।  वो रोजाना इसका भी अभ्यास करती है।  सोयेता को सिखाने का दौर ऐसे ही चलता रहेगा।

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