Friday, February 21, 2025
खबर एवं विज्ञापन हेतु सम्पर्क करें - [email protected]

समुद्र में डूबी कृष्ण की नगरी द्वारका के साक्ष्य जुटाएगा एएसआई, खोज शुरू

नयी दिल्ली। समुद्र में डूबी भगवान कृष्ण की नगरी द्वारका के सभी पहलुओं और साक्ष्य जुटाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने खोज शुरू कर दी है। एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक (पुरातत्व) प्रो. आलोक त्रिपाठी के नेतृत्व में पांच पुरातत्वविदों की एक टीम ने मंगलवार को द्वारका तट पर पानी के नीचे खोज शुरू की। इस टीम में निदेशक (खुदाई एवं अन्वेषण) एचके नायक, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् डॉ. अपराजिता शर्मा, पूनम विंद और राजकुमारी बारबिना ने प्रारंभिक जांच के लिए गोमती क्रीक के पास एक क्षेत्र का चयन किया है। एएसआई के अनुसार इस अन्वेषण के माध्यम से द्वारका नगरी के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक साक्ष्य जुटाया जाएगा। पानी के अंदर की जा रही खोज भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए एएसआई के मिशन में एक महत्वपूर्ण कदम है। एएसआई के नवीनीकृत अंडरवाटर पुरातत्व विंग (यूएडब्ल्यू) को हाल ही में द्वारका और बेट द्वारका में अपतटीय सर्वेक्षण और जांच करने के लिए पुनर्जीवित किया गया है। यूएडब्ल्यू 1980 के दशक से पानी के नीचे पुरातात्विक अनुसंधान में सबसे आगे रहा है। 2001 से विंग बंगाराम द्वीप (लक्षद्वीप), महाबलीपुरम (तमिलनाडु), द्वारका (गुजरात), लोकतक झील (मणिपुर) और एलीफेंटा द्वीप (महाराष्ट्र) जैसे स्थलों पर अन्वेषण कर रहा है। इससे पहले अंडरवाटर पुरातत्व विंग ने 2005 से 2007 तक द्वारका में अपतटीय और तटवर्ती खुदाई की थी। नौसेना और पुरातत्व विभाग की संयुक्त खोज पहले 2005 फिर 2007 में एएसआई के निर्देशन में भारतीय नौसेना के गोताखोरों ने समुद्र में समाई द्वारिका नगरी के अवशेषों के नमूनों को सफलतापूर्वक निकाला। वर्ष 2005 में नौसेना के सहयोग से प्राचीन द्वारिका नगरी से जुड़े अभियान के दौरान समुद्र की गहराई में कटे-छंटे पत्थर मिले और लगभग 200 नमूने एकत्र किए गए। गुजरात में कच्छ की खाड़ी के पास स्थित द्वारिका नगर समुद्र तटीय क्षेत्र में नौसेना के गोताखोरों की मदद से पुरा विशेषज्ञों ने व्यापक सर्वेक्षण के बाद समुद्र के भीतर उत्खनन कार्य किया गया और वहां पड़े चूना पत्थरों के खंडों को भी ढूंढ निकाला।पुरातत्वविद् प्रो. एसआर राव और उनकी टीम ने 1979-80 में समुद्र में 560 मीटर लंबी द्वारिका की दीवार की खोज की। उस दौरान उन्‍हें वहां पर बर्तन भी मिले, जो 1528 ईसा पूर्व से 3000 ईसा पूर्व के हैं।  इसके अलावा सिन्धु घाटी सभ्‍यता के भी कई अवशेष उन्‍होंने खोजे। उस जगह पर भी उन्‍होंने खुदाई में कई रहस्‍य खोले, जहां पर कुरुक्षेत्र का युद्ध हुआ था।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

शुभजिताhttps://www.shubhjita.com/
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।
Latest news
Related news